ताजमहल का तहखाना खुला! तस्वीरें देख दंग रह जाएंगे आप

ताजमहल के तहखाने की 22 कमरों की तस्वीरें एएसआई ने सार्वजनिक कर दी है। एएसआई के मुताबिक ये वो तस्वीरें हैं, जिसे रेनोवेशन के वक्त लिया गया था। अब यह एएसआई के वेबसाइट पर उपलब्ध है। 

rohan salodkar | Published : May 16, 2022 2:42 PM IST

नई दिल्लीः ताजमहल के तहखाने में बंद 22 कमरों को लेकर विवाद जारी है। इसी बीच भारतीय सर्वेक्षण (ASI) ने उन कमरों की तस्वीरें जारी कर दी हैं। एएसआई से जानकारी मिली कि यह तस्वीरें उन दिनों की हैं, जब 2022 में उसकी मरम्मत की गई थी। एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह तस्वीरें एएसआई के वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। कोई भी वेबसाइट से तस्वीर देख सकता है। तस्वीर जहां अपलोड है, वहां पर जानकारी दी गई है कि जब कमरों का रेनोवेशन हो रहा था, तभी यह तस्वीरें ली गई थी। पूरी मरम्मति के काम में 6 लाख रुपए की लागत पड़ी थी। इन कमरों में क्या है, इसको लेकर भ्रम पैदा ना हो इसलिए इन तस्वीरों को वेबसाइट पर सबके सामने लाया गया है। 

ताजमहल के 22 कमरों को खेलने की मांग
जानकारी दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने ताजमहल के सभी 22 कमरों को खेलने की मांग की थी। अयोध्या निवासी ड़ॉ. रजनीश कुमार की ओर से यह याचिका फाइल की गई थी। जजेस ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। सुनवाई में हाईकोर्ट नमे कहा था कि किसी समिति के माध्यम से तथ्यों की खोज करवाने की मांग की जा रही है। कोर्ट ने उनसे सीधे लफ्जों में कह दिया था कि आपका यह अधिकार नहीं है और ना ही आरटीआई अधिनियम के तहत यह आता है। याचिका को यह कहके खारिज कर दिया गया कि इसेखोलने की मांग के लिए शोध की जरूरत पड़ेगी। इससे पहले कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई थी कि इस पर रिसर्च करो, एमए, पीएचडी करो, कोई ना करने दो हमारे पास आ जाओ। 

ताजमहल या तेजो महालिया
ताजमहल या तेजो महालिया, इस बारे में कई संगठन दावा कर रहे हैं. दक्षिणपंथी संगठनों ने अतीत का हवाला देकर कहा है कि मुगल काल का यह मकबरा दरअसल शिव मंदिर है। इसलिए इसे लोग तेजो महालिया कह रहे हैं। रजनीश सिंह ने ताजमहल के इतिहास का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया था। 22 कमरों को खुलवाने की याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों की बात कही गई। इन्हीं कानून के तहत ताजमहल, फतेहपुर सिकरी और आगरा के लालल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था। याचिका के अनुसार इस संविधान को बदलने की जरूरत बताई गई थी। जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया। 

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