एशियानेट न्यूज नेटवर्क द्वारा कन्नड़ व अंग्रेजी के डिजिटल रीडर्स पर सर्वे किया गया, जिसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
कर्नाटक चुनाव पर सबकी निगाहें हैं क्योंकि इस चुनाव के परिणाम देश के अन्य राज्यों के आगामी चुनावों की दिशा तय कर सकते हैं। इस वर्ष मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चुनाव होने हैं। इतना ही नहीं, अगले वर्ष लोकसभा के चुनाव भी होंगे। ऐसे में कर्नाटक चुनाव के परिणाम कई राजनीतिक पंडितों को भी चौंका सकते हैं। एशियानेट न्यूज नेटवर्क द्वारा कन्नड़ व अंग्रेजी के डिजिटल रीडर्स पर सर्वे किया गया, जिसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। इस सर्वे में 35 लाख यूजर्स का एंगेजमेंट देखा गया, जिसमें से 52 प्रतिशत कर्नाटक से थे।
कर्नाटक में बीजेपी का पलड़ा भारी : सर्वे
यूं तो कई जगहों पर दावा किया जा रहा है कि 13 मई को जब वोटों की गिनती होगी तो कांग्रेस वर्तमान बीजेपी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देगी लेकिन अगर राज्य की जनता की राय पर नजर डाली जाए तो बीजेपी ही यहां सरकार बनाती नजर आ रही है।
कुछ खुश तो कुछ नाखुश
एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वे (Peoples Choice) के मुताबिक भले ही राज्य के 42 प्रतिशत अंग्रेजी भाषी वर्तमान बसवराज बोम्मई सरकार से नाखुश हैं, तो 44 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इस डबल इंजन की सरकार ने राज्य को तेजी से विकास करने में काफी मदद की है। बात करें कन्नड़ भाषियों की तो 35 प्रतिशत लोग सत्ताधारी बीजेपी सरकार से नाखुश नजर आए लेकिन इसके विपरीत 52 प्रतिशत लोगों ने इस बात को माना कि इस सरकार ने राज्य के विकास को अच्छी गति दी है।
बीजेपी-जेडीएस गठबंधन को लेकर ये राय
अगर ऐसी स्थिति बनती नजर आती है कि राज्य में किसी भी सरकार को बहुमत नहीं मिल रहा हो, ऐसी स्थिति में 44 प्रतिशत कन्नड़ रीडर्स का मानना है कि बीजेपी जनता दल सेक्युलर के साथ मिलकर सरकार बना लेगी। वहीं केवल 20 प्रतिशत लोगों ने ये माना कि कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार बनाएंगे।
अंग्रेजी रीडर्स को कांग्रेस-जेडीएस पर भरोसा
इस मामले पर अंग्रेजी रीडर्स का अलग दृष्टि कोण सामने आया। 41 प्रतिशत अंग्रेजी रेस्पोंडेंट्स ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार ही राज्य के लिए अच्छी होगी। जबकि 37 प्रतिश ने कहा कि बीजेपी और जेडीएस की जोड़ी से सही सरकार चलेगी। बता दें कि एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वे अन साइंटिफिक है और इसमें कर्नाटक के वोटर्स को टारगेट नहीं किया गया। गौर करने वाली बात ये है कि इस सर्वे 48 प्रतिशत वो लोग शामिल हैं जो कर्नाटक से नहीं हैं और वोटर्स भी नहीं है।
पीएम मोदी चमके, राहुल गांधी अंधेरे में गुम
कर्नाटक का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए दो तरह से लिटमस टेस्ट जैसा है। पहला यह कि राहुल गांधी प्रकरण के बाद पब्लिक का क्या रूख है। वहीं कर्नाटक से ही आने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की भी परीक्षा होनी है। यदि वे यह चुनाव जीत जाते हैं तो पार्टी में उनका कद बड़ा होगा लेकिन चुनाव हार जाते हैं कांग्रेस में असहमति का एक और दौर शुरू होगा जो उनकी काबिलियत पर नए तरीके से सवाल खड़े करेगा।
नहीं काम आएगा राहुल फैक्टर, फिर चलेंगे मोदी
कर्नाटक चुनाव से पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की बहुत चर्चा थी और माना जा रहा था कि उन्हें आम जनता का सपोर्ट मिल रहा है लेकिन एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वे ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। संसद सदस्यता खो चुके राहुल गांधी की कितनी स्वीकार्यता है, यह भी क्लियर हो चुका है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि एशियानेट डिजिटन न्यूज सर्वे ने पिंजरे से तोते उड़ा दिए हैं। सर्वे कहता है कि कन्नड़ भाषी 69 प्रतिशत लोग और अंग्रेजी बोलने वाले 50 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि राहुल गांधी का फैक्टर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कोई असर नहीं डालने वाला है। मतलब यह कि राहुल गांधी का मामला कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का कोई फैक्टर नहीं बनने वाला है।
वहीं दूसरी तरफ 58 प्रतिशत कन्नड़ भाषी और 48 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वाले लोग मानते हैं कि बीजेपी की जीत में नरेंद्र मोदी का फैक्टर काम करने वाला है। इस चुनाव में भाजपा की जीत होती है तो आधे से ज्यादा वोट नरेंद्र मोदी के नाम पर मिलने वाले हैं।
रिजर्वेशन सिस्टम को लेकर ये राय
Asianet news digital survey के अनुसार 75 प्रतिशत कन्नड़ भाषी और 58 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वाले लोग मानते हैं कि शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब के लिए नया रिजर्वेशन सिस्टम लागू होना चाहिए और वे उसके पक्ष में भी हैं। वहीं सिर्फ 21 फीसदी कन्नड़ भाषी और 22 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वाले यह मानते हैं कि नया रिजर्वेशन सिस्टम उनकी कोई मदद नहीं कर पाएगा।कर्नाटक सरकार की ताजा रिजर्वेशन पॉलिसी पर 62 फीसदी कन्नड़ भाषी और 48 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वालों ने रिस्पांड किया है जिनका मानना है कि नई नीति से कर्नाटक के शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब को फायदा होगा। वहीं 22 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वालों का कहना है कि इस नीति से कोई फायदा नहीं होने वाला है। वहीं 62 प्रतिशत कन्नड़ लोग और 48 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वाले इस नीति को सही मानते हैं जिसमें 4 प्रतिशत के मुस्लिम कोटे को लिंगायत और वोक्कालिगास लोगों के लिए दिए जाने की सिफारिश की गई है।
भ्रष्टाचार को लेकर लोगों की ये राय
चाहे देश के चुनाव हों या फिर कर्नाटक जैसे प्रदेश के, भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जो हर चुनाव में बड़ा फैक्टर बनता है। 46 प्रतिशत कन्नड़ भाषी और 48 प्रतिशत अंग्रेजी भाषी मानते हैं कि प्रदेश की सरकार चुनते वक्त वे भ्रष्टाचार के मुद्दे को ध्यान में रखेंगे। लोगों का कहना है कि कोई भी सरकार हो लेकिन इस मुद्दे पर सभी कुछ खास नहीं कर पाते हैं। 19 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वर्तमान की बोम्मई सरकार पूर्व की येदियुरप्पा सरकार से ज्यादा करप्ट है क्योंकि येदियुरप्पा सरकार को 18 प्रतिशत लोग भ्रष्ट मानते हैं जबकि एचडी कुमार स्वामी की सरकार को 17 प्रतिशत लोग भ्रष्ट मानते हैं।
वहीं जब अंग्रेजी भाषी की बात आती है तो वे बोम्मई सरकार को पूर्व की येदियुरप्पा और एचडी कुमार स्वामी सरकार से कम भ्रष्ट मानते हैं। तब यह आंकड़ा यह कहता है कि कुमार स्वामी सरकार को 19 प्रतिशत लोग भ्रष्ट मानते हैं जबकि येदियुरप्पा सरकार को 18 प्रतिशत लोग भ्रष्ट मानते थे। जबकि बोम्मई सरकार को सिर्फ 17 प्रतिशत लोग ही भ्रष्टाचार के तराजू पर तौलते हैं।
विकास और किसान के मुद्दे पर लोगों ने ये कहा
किसी भी सरकार के लिए डेवलपमेंट बड़ा फैक्टर होता है। एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वे कहता है कि 66 प्रतिशत कन्नड़ और 57 प्रतिशत अंग्रेजी भाषी लोग यह मानते हैं कि वर्तमान की बीजेपी सरकार ने औद्योगिकीकरण के लिए बेहतर काम किया है। इससे प्रदेश में नए उद्योग लगे हैं। वहीं सिर्फ 14 फीसदी कन्नड़ भाषी और 25 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वाले भी यही मानते हैं। 45 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि बसवराज बोम्मई की सरकार किसान हितैषी है। वहीं 39 प्रतिशत अंग्रेजी भाषी लोग भी यही मानते हैं कि मौजूदा सरकार किसानों के हित के लिए काम कर रही है।
एशियानेट न्यूज डिजिटल सर्वे मौजूदा समय में चुनावी राज्य की पड़ताल कर रहा है और इसकी आखिरी तस्वीर 13 मई को ही स्पष्ट हो पाएगी।