
गुवाहाटी। असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर सामने आई है। बांग्लादेश से आए दो लोगों को अब भारतीय नागरिकता मिल गई है, जिनमें सबसे खास बात यह है कि CAA के तहत असम में पहली बार किसी महिला को नागरिकता दी गई है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य में CAA को लेकर लंबे समय से बहस और विरोध चलता रहा है।
सीनियर एडवोकेट धर्मानंद देब के मुताबिक, यह असम का पहला मामला है जिसमें किसी महिला को रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के जरिए CAA के तहत नागरिकता मिली है। इससे पहले राज्य में किसी भी महिला को इस कानून के तहत नागरिक नहीं बनाया गया था, इसलिए यह मामला ऐतिहासिक माना जा रहा है।
करीब 40 साल की यह महिला बांग्लादेश के चटगांव की रहने वाली है। वह साल 2007 में अपने परिवार के सदस्य के साथ इलाज के लिए सिलचर मेडिकल कॉलेज आई थी। इलाज के दौरान उसकी मुलाकात श्रीभूमि के एक युवक से हुई, दोनों ने शादी कर ली और एक बेटा भी हुआ। इसके बाद महिला यहीं बस गई।
महिला ने CAA नियम लागू होने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन किया था, लेकिन जुलाई 2024 में दिया गया पहला आवेदन परिसीमन अभ्यास की वजह से खारिज हो गया। बदरपुर इलाके का अधिकार क्षेत्र बदल गया था, जिससे यह साफ नहीं हो पा रहा था कि मामला किस जिले में आएगा।
वकील ने सभी दस्तावेज दोबारा तैयार कर केस फाइल किया। इस बार आवेदन को सही माना गया और गृह मंत्रालय ने नागरिकता प्रमाण पत्र जारी कर दिया। खास बात यह है कि नागरिकता उसी तारीख से प्रभावी मानी जाएगी, जिस दिन महिला भारत आई थी।
दूसरा लाभार्थी 61 साल का पुरुष है, जो 1975 में बांग्लादेश के मौलवीबाजार जिले से भारत आया था। वह तब सिर्फ 11 साल का था। उसने भारत में शादी की, परिवार बसाया और अब उसे नेचुरलाइजेशन प्रोसेस के तहत नागरिकता मिली है।
इन दो मामलों के बाद असम में CAA के तहत नागरिकता पाने वालों की संख्या चार हो गई है। हालांकि पिछले एक साल में करीब 40 लोगों ने आवेदन किया, लेकिन कई केस खारिज हुए और कई अभी भी पेंडिंग हैं।
2019 में CAA लागू होने के बाद असम में बड़े पैमाने पर विरोध हुए थे, जिनमें पांच लोगों की मौत भी हुई थी। आज भी राज्य में करीब दो लाख लोग संदिग्ध नागरिक माने जाते हैं, लेकिन बहुत कम लोग CAA के तहत आवेदन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि अधिकतर हिंदू प्रवासी 1971 से पहले ही असम आ चुके थे। ऐसे में आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि CAA का असर धीरे-धीरे बढ़ता है या सीमित ही रहता है। CAA के तहत असम में पहली महिला को नागरिकता मिलना न सिर्फ एक कानूनी फैसला है, बल्कि यह दिखाता है कि यह कानून अब जमीन पर भी लागू होने लगा है। हालांकि विरोध, डर और सामाजिक दबाव के कारण अभी भी बहुत से लोग सामने नहीं आ पा रहे हैं।