असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी, 3.29 करोड़ लोगों में 19 लाख साबित नहीं कर पाए कि वे भारत के नागरिक हैं

असम में शनिवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई। 3.11 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए वैध माना गया है। वहीं,19,06,657 लोगों के नाम इसमें नहीं हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने नागरिकता के लिए दावा नहीं किया था। जो लोग इस लिस्ट से संतुष्ट नहीं हैं, वे  फॉर्नर ट्रिब्यूनल में आवेदन कर सकते हैं। नागरिकता के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। 

गुवाहाटी. असम में शनिवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई। 3.11 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए वैध माना गया है। वहीं,  19,06,657 लोगों के नाम इसमें नहीं हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने नागरिकता के लिए दावा नहीं किया था। जो लोग इस लिस्ट से संतुष्ट नहीं हैं, वे  फॉर्नर ट्रिब्यूनल में आवेदन कर सकते हैं। नागरिकता के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। 

पिछले साल 31 दिसंबर 2017 को NRC की पहली लिस्ट जारी की गई थी। इसमें कुल 1.90 करोड़ लोगों के नाम थे। इसके बाद 30 जुलाई को एनआरसी का आया था। इसके लिए  3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। इस लिस्ट में 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। लिस्ट में 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं थे। इसके बाद 26 जून 2019 को एक लिस्ट और जारी की गई थी। इसमें 1 लाख 2 हजार 462 ऐसे लोगों बाहर कर दिया, जो लिस्ट में थे लेकिन उन्हें अयोग्य करार दिया गया है। 

क्या है एनआरसी और क्यों पड़ी जरूरत?
असम इकलौता राज्य है जहां एनआरसी बनाया जा रहा है। दरअसल, असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। ऐसा माना जाता है कि यहां करीब 50 लाख बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। 80 के दशक में अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और असम गण परिषद के बीच समझौता हुआ। इसमें कहा गया  24 मार्च 1971 तक जो लोग देश में घुसे उन्हें नागरिकता दी जाएगी, बाकी को देश से निर्वासित कर दिया जाएगा। 7 बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुई। 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट के आदेश के बाद अब लिस्ट जारी हुई। 

एनआरसी में किन लोगों को नागरिकता के योग्य माना जाएगा?

- एनआरसी में असम के सिर्फ उन लोगों को ही भारतीय नागरिक माना जाएगा, जिनके पूर्वजों के नाम 1951 के एनआरसी में शामिल हों। इसके अलावा 24 मार्च 1971 तक के वोटर लिस्ट में मौजूद हों। 

Latest Videos

- इसके अलावा 12 दूसरे तरह के सर्टिफिकेट जैसे जन्म प्रमाण पत्र, पासबुक, निवास प्रमाणपत्र, नागरिकता प्रमाण पत्र भी देकर नागरिकता के योग्य बना जा सकता है। 

- असम एकॉर्ड 1985 के मुताबिक, विदेशियों को पहचनाने के लिए 24 मार्च 1971 को कट ऑफ डेट माना गया। क्योंकि इसके अगले दिन से ही बांग्लादेश की आजादी के लिए युद्ध शुरू हुआ था। 



जिन लोगों का नाम नहीं, उनका क्या होगा?
एनआरसी को लेकर असम में कई तरह की अफवाहें भी चल रही हैं। लेकिन सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं किया जाता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वह विदेशी घोषित हो जाएगा। जिस व्यक्ति का नाम लिस्ट में नहीं होगा, उसे फॉर्नर ट्रिब्यूनल में जाने का भी अधिकार है। राज्य सरकार भी साफ कर चुकी है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है, उन्हें किसी भी परिस्थिति में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, जब तक फॉर्नर ट्रिब्यूनल उसे विदेशी घोषित नहीं करती। फॉर्नर ट्रिब्यूनल को असम समझौते के तहत ही बनाया गया था। 

फाइनल लिस्ट के खिलाफ 31 दिसंबर तक कर सकेंगे अपील
सरकार ने एनआरसी की लिस्ट में नाम न होने पर अपील के लिए तय वक्त सीमा को 60 दिन से बढ़ाकर 120 कर दिया है। अब 31 दिसंबर तक इस लिस्ट में नाम ना होने पर व्यक्ति अपील कर सकता है। गृह मंत्रालय ने 1000 ट्रिब्यूनल बनाए हैं। अगर कोई व्यक्ति एक बार ट्रिब्यूनल में केस हार जाता है, तो वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। 

Share this article
click me!

Latest Videos

संभल हिंसा पर कांग्रेस ने योगी और मोदी सरकार पर साधा निशाना
Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
'भविष्य बर्बाद न करो बेटा' सड़क पर उतरे SP, खुद संभाला मोर्चा #Shorts #Sambhal
LIVE 🔴 Maharashtra, Jharkhand Election Results | Malayalam News Live
जय भवानी' PM Modi बोले- महाराष्ट्र में सुशासन और विकास की जीत, झूठ-छल-फरेब की हुई हार