Heat Stroke: इन 4 वजहों से कूल माने जाने वाले केरल जैसे राज्यों में आसमान से बरस रही आग

Published : Apr 20, 2023, 05:26 PM ISTUpdated : Apr 20, 2023, 05:34 PM IST
kochhi kerala

सार

केरल सहित कई कूल प्लेस, भीषण गर्मी के शिकार हैं। सुबह भी गर्मी परेशान करने से बाज नहीं आ रही है। सनबर्न का खतरा भी बढ़ गया है। आखिर इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है? कौन से जलवायु कारण हैं जो इसका कारण बन रहे हैं?

Factors rising temperature in Kerala: गर्मी अपने शुरूआती दिनों में ही तल्ख तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। केरल जैसे राज्य भी इस गर्मी में झुलस रहे हैं। इस साल के शुरूआत से ही केरल सहित कई कूल प्लेस, भीषण गर्मी के शिकार हैं। सुबह भी गर्मी परेशान करने से बाज नहीं आ रही है। सनबर्न का खतरा भी बढ़ गया है। आखिर इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है? कौन से जलवायु कारण हैं जो इसका कारण बन रहे हैं?

सबसे पहले जानिए किसी स्थान पर वातावरण के तापमान को कौन से कारक निर्धारित करते हैं। वायुमंडलीय तापमान चार मुख्य कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है।

1. वायुमंडल का रेडिएशन फ्लक्स ट्रांसफर।

2. वायुमंडल में हवा पृथ्वी के सबसे टॉप सतह ट्रोपोस्फियर से उतरती है। यह करीब 12 से 18 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। हाईस्पीड जेट स्ट्रीम की वजह से चक्रवाती सर्कुलेशन बनता है।

3. आसपास के पहाड़ों और समुद्र की हवाएं, गर्म हवा को उड़ा ले जाती हैं जिसकी वजह से गर्मी निकल जाती है।

4. हीट आइलैंड इफेक्ट: कोई भी क्षेत्र एक ताप द्वीप में परिवर्तित हो जाता है जहां कंक्रीट, बिटुमिनस सड़कों और एयर कंडीशनर आदि बहुतायत होने की वजह से काफी अधिक गर्मी बाहर निकलती है।

अब देखते हैं कि ये चार कारक केरल में अत्यधिक गर्मी के कारण कैसे हैं:

1. जेट स्ट्रीम द्वारा निर्मित साइक्लोनिक सर्कुलेशन: हीट बैलेंस ऑफ अर्थ के अनुसार बादल सूर्य की 23 प्रतिशत किरणों को वापस अंतरिक्ष को रिफ्लेक्ट कर देते हैं। बादल केवल चार प्रतिशत ही एब्सार्ब कर पाते हैं। ऐसे में साफ आसमान में ये किरणें (23 + 4 = 27%) सीधे पृथ्वी पर आती हैं। केरल में इन दिनों आसमान लगभग साफ रहा है। इसी तरह, सौर ऊर्जा का 5% जो पृथ्वी पर सीधे आता है। वह वायुमंडल में स्थानांतरित हो जाता है। यह तापमान भी वायुमंडल को प्रभावित कर रहा है क्योंकि हाल के दिनों में मिट्टी की नमी में काफी कमी आई है जिसका प्रभाव सीधे पड़ रहा है। इसलिए स्वभाविक है कि सूर्य की तेज किरणें सामान्य से अधिक पृथ्वी पर टकरा रही हैं जो अत्यधिक तापमान की वजह बन रहीं।

2. केरल सब-ट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम्स के प्रभाव में है। यह पृथ्वी की सतह से 10-14 किमी ऊपर एक क्षेत्र बनाते हैं। नतीजतन, एडियाबेटिक कंप्रेशन के परिणामस्वरूप हवा कम होने के साथ अधिक गर्म हो जाती है। इससे तापमान एक बार फिर सामान्य से ऊपर चला गया।

3. पानी से टकराने वाले सोलर रेडिएशन का 24% तक समुद्र द्वारा वायुमंडल में स्थानांतरित किया जाता है। अरब सागर के बहुत गर्म होने के कारण यह अधिक हो सकता है। यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि अरब सागर का तापमान सामान्य से 1.2 डिग्री अधिक हो गया था। पश्चिमी हवाएं जो अब अरब सागर से केरल की ओर चलती हैं, तापमान में वृद्धि में योगदान देने वाला तीसरा कारक हैं।

4. चौथा कारक हीट आइलैंड इफेक्ट है। हीट आइलैंड इफेक्ट, कोच्चि जैसे शहरों में सबसे ज्यादा दिनों तक मौजूद रहता है। विशाल हवाओं ने भंवर बनाना बंद कर दिया है और लगभग सीधा ट्राजेक्टरी चुना है।

यह भी पढ़ें:

केंद्र व गुजरात सरकार करेगी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चैलेंज: बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों की रिहाई की फाइलें की गई हैं तलब

PREV

Recommended Stories

जिन्ना के 'मुन्ना' को भी वंदे मातरम से दिक्कत, बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस को घेरा
IndiGo Crisis: इंडिगो पर कड़ा एक्शन होगा, सरकार ने संसद में दी चेतावनी