पीएम मोदी का 3 घंटे का अयोध्या शेड्यूल, जानें हनुमानगढ़ी में पूजा के बाद कब-कब क्या करेंगे?

5 अगस्त का दिन सभी के लिए ऐतिहासिक होने वाला है। इस दिन राम मंदिर का शिलान्यास पीएम मोदी खुद करेंगे। इसके भूमि पूजन की तैयारी अयोध्या में जोरों से चल रही है। साथ ही लोगों की सुरक्षा के इंतेजाम भी किए गए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 2, 2020 9:46 AM IST

नई दिल्ली. 5 अगस्त का दिन सभी के लिए ऐतिहासिक होने वाला है। इस दिन राम मंदिर का शिलान्यास पीएम मोदी खुद करेंगे। इसके भूमि पूजन की तैयारी अयोध्या में जोरों से चल रही है। साथ ही लोगों की सुरक्षा के इंतेजाम भी किए गए हैं। ऐसे में पीएम मोदी के 5 अगस्त के अयोध्या शेड्यूल के बारे में बता रहे हैं। वो सबसे पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन-पूजन करेंगे। हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास ने कहा कि पीएम मोदी पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन करेंगे। यहां उनके लिए विशेष पूजा की व्यवस्था रहेगी।

महंत राजूदास ने बताया पीएम का शेड्यूल

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महंत राजूदास ने कहा कि पीएम के शेड्यूल में हनुमानगढ़ी में 7 मिनट का समय दिया गया है। इसमें प्रधानमंत्री का आना-जाना शामिल है, प्रधानमंत्री को पूजन में करीब 3 मिनट का समय लगेगा। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि पीएम मोदी 5 अगस्त को 11- 11:15 बजे अयोध्या पहुंचेंगे। वो यहां करीब तीन घंटे रुकेंगे। दोपहर करीब 2 बजे पीएम अयोध्या से रवाना हो जाएंगे।

हनुमानगढ़ी पहुंची SPG की टीम

इस बीच हनुमानगढ़ी में तैयारियां शुरू हो गई है। एसपीजी की टीम और प्रशासनिक अधिकारी हनुमानगढ़ी सुरक्षा का जायजा लेने पहुंच चुके हैं और यहां सुरक्षा तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। हनुमानगढ़ी में पीएम मोदी हनुमान जी की परिक्रमा करेंगे फिर राम मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे। बता दें, कार्यक्रम स्थल पर पीएम मोदी के लिए एक छोटा सा मंच बनाया जा रहा है। इस मंच पर सिर्फ 5 लोग ही मौजूद रहेंगे। इनमें पीएम नरेंद्र मोदी स्वयं, सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास शामिल रहेंगे।

भेंट की जाएगी भगवान राम की कोदंड मूर्ति

अयोध्या यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को लकड़ी की बनी दुर्लभ डेढ़ फुट की कोदंड राम और एक फुट की लव-कुश की प्रतिमा भेंट की जाएगी। दरअसल, भगवान श्रीराम के धनुष को कोदंड के रूप में जाना जाता है। बताया जाता है कि जब वह सीताजी की खोज में दक्षिण भारत पहुंचे थे तो उनके हाथ में उस वक्त कोदंड धनुष था।

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