अयोध्या पर SC फैसले के बाद हर तरफ है मंदिर आंदोलन के इस नेता की चर्चा

विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल का जन्म 27 सितम्बर, 1926 को आगरा में एक सम्पन्न उद्योगपति परिवार में हुआ। अशोक सिंघल राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता थे। 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या पर फ़ैसला सुना दिया है। फैसला हिंदुओं राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी एक ट्वीट करके विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल को भारत रत्न दिए जाने की मांग कर डाली। अशोक सिंघल के नाम पर चर्चा होने लगी है। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है, ''जीत की इस घड़ी में हमें अशोक सिंघल को याद करना चाहिए. नमो सरकार को उनके लिए तत्काल भारत रत्न की घोषणा करनी चाहिए।''

आइए आपको सिंघल से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें बताते हैं-  

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विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल का जन्म 27 सितम्बर, 1926 को आगरा में एक सम्पन्न उद्योगपति परिवार में हुआ। अशोक सिंघल राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता थे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में संगठन को आगे बढ़ाया था। सिंघल को भारतीय शास्त्रीय संगीत में गहरी रुचि थी। इसीलिए उन्होंने हिंदूस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा पंडित ओमकारनाथ ठाकुर से ली थी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े- 

1942 में प्रयाग में पढ़ते समय संघ के प्रचारक रज्जू भैया ने उनका सम्पर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कराया। उनके परिवार की परमिशन के बाद वह संघ स्कूल में पढ़ने लगे। वह लगातार संघ से जुड़े रहे और उसके स्थाई प्रचारक बन गए। इस तरह कार्यक्रमों में जुड़े रहने के बाद उन्हें 1984 में विहिप में बतौर महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गयी। सिंघल के नेतृत्व में ही विश्व हिंदू परिषद ने 200 से ज्यादा मंदिरों का निर्माण किया। आज विहिप की जो अन्तरराष्ट्रीय ख्याति है, उसमें अशोक सिंघल का योगदान सर्वाधिक रहा है।

अयोध्या को बना दिया राष्ट्रीय आंदोलन-

सिंघल 20 साल तक विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। माना जाता है कि सिंघल ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने अयोध्या विवाद को स्थानीय ज़मीन विवाद से अलग देखा और इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने में अहम भूमिका निभाई। सिंघल ने दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस तक कारसेवक अभियान चलाने में आक्रामक शैली अपनायी थी। 

राम मंदिर आंदोलन में 1990 के दशक में बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी सबसे प्रमुख चेहरा थे। उनके साथ ही मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, उमा भारती, विष्णु हरि डालमिया,प्रवीण तोगड़िया,उमा भारती,साध्वी ऋतंभरा,विनय कटियार,कल्याण सिंह आदि थे। 

जनसमर्थन जुटाने में अहम भूमिका-

मंदिर निर्माण आंदोलन चलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने में सिंघल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कई लोगों की नजरों में वह राम मंदिर आंदोलन के 'चीफ़ आर्किटेक्ट' थे। वह 2011 तक वीएचपी के अध्यक्ष रहे और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया था। अब राम मंदिर पर फैसला आने के बाद स्वामी ने उनको भारत रत्न देने की मांगी की है।

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