भारत-बांग्लादेश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अगरतला अखौरा रेल लिंक प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। 15.6 किमी की इस रेल परियोजना में 10 किमी ट्रैक बांग्लादेश की तरफ से बनना है, जबकि भारत की तरफ से 5.6 किमी का ट्रैक पूरा बन चुका है।
नई दिल्ली। अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना की रफ्तार बांग्लादेश की तरफ से कामी धीमी है। जून में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट अभी और लिंबा खिंचने की संभावना है। बांग्लादेश के रेल मंत्री मोहम्मद नूरुल इस्लाम सुजोन ने इसका निर्माण कर रही कंपनी को चेतावनी देते हुए दिसंबर 2022 तक बाकी का काम पूरा करने के निर्देश दिए। मंत्री ने साफ कहा कि समय सीमा के अंदर काम पूरा न होने पर कंपनी को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।
तीन बार बढ़ा चुके समय सीमा
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की समय सीमा तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। पहले यह काम जून 2022 तक पूरा होने की बात कही गई थी। मंत्री ने का कि काम की धीमी रफ्तार देखते हुए हम छह महीने का समय और दे रहे हैं। यदि इस बीच काम पूरा नहीं हुआ तो हमें मजबूरी में टेंडर खत्म करना पड़ेगा।
निरीक्षण में रेल मंत्री के साथ बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी और बांग्लादेश रेलवे के अन्य अधिकारी भी शामिल थे। बांग्लादेश के रेल मंत्री त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से कुछ दूरी पर स्थित बांग्लादेश के अखौरा इलाके में भी पहुंचे। भारतीय उच्चायुक्त ने कहा- मैं सभी से हमारी मदद करने का अनुरोध करना चाहता हूं ताकि यह महत्वपूर्ण रेलवे मार्ग जल्द से जल्द चालू हो सके।
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दोनों देशों के संबंध मजबूत करने के लिए बनी परियोजना
बांग्लादेश के मंत्री ने कहा- हम भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाकर संबंधों को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। चाहे वह जमीन हो, पानी हो या हवाई मार्ग हो। उन्होंने बताया कि जब दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी तब कंपनी ने अगले साल जून तक ट्रैक बिछाने का काम शुरू किए जाने का वादा किया था। लेकिन काम काफी धीमी गति से चल रहा है। उन्होंने बताया कि सिग्नलिंग स्टेशन बनाने, स्टेशन निर्माण जैसे कार्यों में अभी कुछ और वक्त लगेगा।
कोविड-19 भी निर्माण में देरी का एक कारण
मंत्री ने माना कि COVID-19 के कारण भी निर्माण कार्य में देर हुई है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे स्थिति सामान्य हो रही है, हमें भी कड़ी मेहनत करनी होगी। 15.6 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को उत्तर पूर्व क्षेत्र और बांग्लादेश के बीच एक रणनीतिक रेलवे लिंक माना जा रहा है। इसकी 5.46 किमी की लंबाई भारतीय क्षेत्र में आती है, जो लगभग पूरी हो चुकी है, जबकि शेष 10 किलोमीटर बांग्लादेश की ओर है।
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