बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने twitter पर यह दावा करके सनसनी फैला दी है कि वे मेडिकल क्राइम का शिकार बनी हैं। तस्लीमा ने अस्पताल के बिस्तर से एक तस्वीर शेयर की है।
वर्ल्ड न्यूज. बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन(Bangladeshi author living in exile Taslima Nasreen) ने twitter पर यह दावा करके सनसनी फैला दी है कि वे मेडिकल क्राइम का शिकार बनी हैं। तस्लीमा ने अस्पताल के बिस्तर से एक तस्वीर शेयर की है। दरअसल, ख्यात लेखिका की हेल्थ को लेकर उनके फैन्स परेशान थे, लिहाजा उन्होंने खुलासा किया कि उनके साथ क्या हुआ था, जो बहुत अच्छा नहीं था। पढ़िए चौंकाने वाला खुलासा...
1. तसलीमा नसरीन खुद एक डॉक्टर हैं। उन्होंने ट्विटर पर दावा किया कि वह एक चिकित्सा अपराध(medical crime) की शिकार हुई हैं। लेखिका कुछ बहुत गंभीर आरोप लगाए कि नई दिल्ली के एक अस्पताल ने उन्हें स्थायी रूप से विकलांग(permanently handicapped) छोड़ दिया था।
2. indiablooms.comकी रिपोर्ट के अनुसार तस्लीमा ने कहा कि डॉक्टर ने उन्हें एक ऐसी गंभीर सर्जरी(serious surgery) कराने के लिए गुमराह किया, जिसकी उन्हें आवश्यकता नहीं थी। नसरीन ने कहा कि वह घुटने की चोट( knee injury) का इलाज कराने गई थीं, लेकिन पैसे के लिए उनके कूल्हे की हड्डियों(hip bones) को काट दिया गया था और एक कृत्रिम संरचना(artificial structure) से बदल दिया गया था।
3.तसलीमा नसरीन ने कहा कि कुछ दिन पहले ओवरसाइज पजामे की वजह से वह लड़खड़ा गईं और घुटने के बल गिर गईं। उसके घुटने में कुछ चोटें आईं और बाद में एक दोस्त की सिफारिश पर इलाज के लिए अस्पताल गईं।
4. एक्स-रे और सीटी स्कैन के बाद जिस डॉक्टर की सिफारिश उसके दोस्त ने की थी, उसने कहा कि उनके फीमर में फ्रैक्चर हो गया है।
5.तस्लीमा ने कहा किह उसके बाद डॉक्टर ने दो ऑप्शंस दिए।पहला, एक इंटरनल फिक्सेशन, जहां फ्रैक्चर का इलाज पेंच(screwing) द्वारा किया जाएगा। दूसरा-टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी, जिसमें कूल्हे की हड्डियों को प्लास्टिक मेटल से रिप्लेस कर दिया जाएगा। तस्लीमा ने कहा यह एक बुरे सपने की तरह लगता है।
6.नसरीन ने दावा किया कि जब उन्होंने इंटरनल फिक्सिंग ट्रीटमेंट पर जोर दिया, तो डॉक्टर और उनकी टीम ने सेकंड ट्रीटमेंट कराने पर फोर्स किया। तस्लीमा ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उन्हें सेकंड ऑपेनियन के लिए विचार तक नहीं करने दिया और समय न होने की बात कहकर तुरंत फैसला करने को कहा।
7. तस्लीमा ने कहा कि डॉक्टर ने उनका पेनफुल ट्रीटमेंट किया किया, केवल यह पता लगाने के लिए कि उनके एक्स-रे में फीमर या कहीं भी कोई फ्रैक्चर नहीं दिखा था।
8. तस्लीमा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा-मैं लोगों पर भरोसा करने और उन्हें अपना दोस्त मानने के परिणामों को समझ चुकी हूं। अस्पताल में एक डॉक्टर पर भरोसा किया, यह सोचकर कि वह मेरा दोस्त है। मैंने उनसे कहा कि घर पर गिरने के बाद मेरे घुटने में दर्द हो रहा है और मुझे एक्स-रे कराने की जरूरत है। दोस्त ने मुझे उनके अस्पताल में एक आर्थोपेडिक डॉक्टर के पास भेजा, जो वास्तव में हिप रिप्लेसमेंट का एक्सपर्ट है।
9. तस्लीमा ने फेसबुक पेज पर आगे लिखा-हिप रिप्लसेमेंट एक्सपर्ट ने मुझे बताया कि मेरी फीमर में फ्रैक्चर हो गया है। लेकिन फ्रैक्चर का इलाज करने के बजाय वह हिप रिप्लेसमेंट करवाने के लिए मेरी जान के पीछे पड़ा था।
10.तस्लीमा ने फेसबुक पेज पर आपबीती लिखी-जब मैंने हिप रिप्लेसेंट के लिए मना कर दिया, तो उसने मुझे परेशान करना जारी रखा। मेरी हां कराने के लिए तीन से चार डॉक्टरों के पास दौड़ाया। मुझे सोचने, किसी से परामर्श करने या किसी शुभचिंतक से बात करने का समय नहीं दिया गया।
11. तस्लीमा ने लिखा- उदाहरण दिया-हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी क्यों की जाती है? अगर सभी सर्जरी जोड़ों के रोगों का इलाज करने में विफल रहती हैं, जब दर्द की दवाओं से जोड़ों का दर्द ठीक न हो, जब जोड़ों के रोग आपको बिल्कुल भी हिलने-डुलने न दें, जब जोड़ पूरी तरह से बेकार हो जाते हैं और अपने अंतिम चरण में सड़ जाते हैं, जब लोग जोड़ों के तेज दर्द के कारण कुछ भी नहीं कर पाते, यहां तक कि सो भी नहीं पाते, जब विभिन्न गठिया रोगों के कारण जोड़ नष्ट हो जाते हैं, जब जोड़ों में ट्यूमर या कैंसर हो।
12. तस्लीमा ने आगे लिखा- मेरे जॉइंट ठीक से काम कर रहे थे। इन कारणों के बिना हिप रिप्लेसमेंट नहीं किया जाता है। मुझे ऐसी कोई समस्या नहीं थी।फिर भी मुझसे लगातार झूठ बोला गया। मेरे हेल्दी आर्गंस( healthy organs) काट दिए गए।
13. तस्लीमा ने लिखा कि डॉक्टरों ने उस समस्या का कभी इलाज नहीं किया, जिसके लिए मैं अस्पताल गई थी। तसलीमा नसरीन ने दावा किया कि उन्हें कोई समस्या नहीं है और वह एक स्वस्थ और फिट व्यक्ति हैं।
14. तस्लीमा ने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए था, क्योंकि उन्हें एक बांग्लादेशी मरीज के रूप में देखा गया था, जो यह सोचकर अपने देश वापस चली जाएगी कि उसका इलाज हो गया।
15. तस्लीमा ने लिखा-मैं निजी अस्पतालों का शिकार हो गई। मुझे अस्पताल ने लेखक या डॉक्टर के रूप में नहीं, बल्कि 'बांग्लादेशी पेशेंट' के रूप में नामित किया गया था। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि बड़े डॉक्टर इस तरह के भयानक अपराध(horrible crimes) कर सकते हैं। और न जाने किस फैसले की चूक ने मुझे कुछ इस तरह का शिकार बना दिया। हालांकि लेखिका ने इसके लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने डॉक्टरों को मेडिकल क्राइम का शिकार बनने की परमिशन दी।
16. बता दें कि 1990 के दशक की शुरुआत में तस्लीमा ने नारीवादी विचारों वाले अपने निबंधों और उपन्यासों और सभी महिला विरोधी धर्मों की आलोचना के कारण दुनियाभर का ध्यान खींचा था। नसरीन 1994 से निर्वासन में रह रही हैं। कई फतवों में उनकी मौत की मांग की जाती रही है। यूरोप और अमेरिका में एक दशक से अधिक समय तक रहने के बाद वह 2004 में भारत आ गईं। वह 2004 से रेजिडेंट परमिट लॉन्ग-टर्म, मल्टीपल-एंट्री या एक्स वीजा पर भारत में रह रही हैं।
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