75th Republic Day 'बीटिंग रिट्रीट': विजय चौक पर भारतीय सेनाओं ने अपनी गौरवशाली परंपराओं का किया प्रदर्शन, राष्ट्रीय धुनों पर उमड़ा देशभक्ति का ज्वार

Published : Jan 29, 2024, 06:29 PM ISTUpdated : Jan 29, 2024, 09:20 PM IST
Beating Retreat

सार

'बीटिंग रिट्रीट' समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की शंखनाद धुन से हुई। विजय चौक पर भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के संगीत बैंड 31 मनोरम और थिरकाने वाली भारतीय धुनें बजायी गई।

Beating Retreat ceremony: गणतंत्र दिवस समारोह के तहत 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह सोमवार को नई दिल्ली के विजय चौक पर आयोजित किया गया। 'बीटिंग रिट्रीट' में भारतीय सेनाएं अपने गौरवशाली परंपराओं का प्रदर्शन किया। विजय चौक पर भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के संगीत बैंड्स ने 31 मनोरम और थिरकाने वाली भारतीय धुनें बजायी तो बैठे लोग मंत्रमुग्ध हो गए। 

सामूहिक बैंड की शंखनाद धुन से शुरूआत

'बीटिंग रिट्रीट' समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की शंखनाद धुन से हुई। इसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड द्वारा वीर भारत, संगम दूर, देशों का सरताज भारत, भागीरथी और अर्जुन जैसी मनमोहक धुनें पेश की। सीएपीएफ बैंड भारत के जवान और विजय भारत बजाया। एयरफोर्स का म्यूजिक बैंड टाइगर हिल, रिजॉइस इन रायसीना और स्वदेशी ने लोगों को देशभक्ति की मनमोहक संगीत सागर में गोते लगाने का मजबूर किया। इंडियन नेवी बैंड द्वारा आईएनएस विक्रांत, मिशन चंद्रयान, जय भारती और हम तैयार हैं सहित कई धुनें बजी तो सब झूम उठे। भारतीय सेना का बैंड फौलाद का जिगर, अग्निवीर, कारगिल 1999 और ताक़त वतन जैसे अन्य बैंड ने गौरवशाली गाथा का पुनर्जीवित कर दिया। इसके बाद सामूहिक बैंड कदम कदम बढ़ाए जा, ऐ मेरे वतन के लोगों और ड्रमर्स कॉल की धुनें बजाकर एकता और सामूहिकता का संदेश दिया। कार्यक्रम का समापन सारे जहां से अच्छा की लोकप्रिय धुन के साथ हुआ।

बीटिंग रिट्रीट 1950 में हुआ था शुरू

बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक की शुरुआत में हुई जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से विकसित किया। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है। जब सैनिक लड़ना बंद कर देते थे, अपने हथियार बंद कर देते थे, युद्ध के मैदान से हट जाते थे और रिट्रीट की आवाज पर सूर्यास्त के समय शिविरों में लौट आते थे। यह समारोह बीते समय के प्रति पुरानी यादें ताजा करता है।

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