गर्मी ने किया बंटाधार, बेंगलुरु में आधे लोगों ने नहीं दिया वोट, जानें कैसा रहा मतदान का हाल?

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के तीन शहरी निर्वाचन क्षेत्र बेंगलुरु सेंट्रल, बेंगलुरु नॉर्थ और बेंगलुरु साउथ में वोटिंग राज्य औसत से काफी कम था।

sourav kumar | Published : Apr 27, 2024 3:42 AM IST

बेंगलुरु लोकसभा चुनाव 2024: देश में कल शुक्रवार (26 अप्रैल) को लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान खत्म हो गया। इस दौरान 13 राज्यों समेत 88 लोकसभा सीटों के लिए जनता ने वोट किया। चुनाव आयोग की माने तो सेकंड फेज में कुल 68.49 फीसदी वोटिंग हुई, जो बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2 फीसदी कम है। हालांकि, इस दौरान देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में लगभग आधे पात्र मतदाता लोकसभा चुनाव के दौरान वोट डालने नहीं आए। कर्नाटक के 14 निर्वाचन क्षेत्रों में 69.23 फीसदी वोटिंग की सूचना दी गई। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह चिलचिलाती गर्मी बताई जा रही है।

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के तीन शहरी निर्वाचन क्षेत्र बेंगलुरु सेंट्रल, बेंगलुरु नॉर्थ और बेंगलुरु साउथ में वोटिंग राज्य औसत से काफी कम था। चुनाव आयोग द्वारा कर्नाटक के 14 निर्वाचन क्षेत्रों में 69.23 फीसदी मतदान की रिपोर्ट के बावजूद, इन तीन शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं का एक छोटे से हिस्से ने ही वोटिंग किया। बेंगलुरु सेंट्रल में 52.81 फीसदी लोगों ने वोट किया। बेंगलुरु सेंट्रल में 54.32 फीसदी, बेंगलुरु नॉर्थ में 54.76 फीसदी और बेंगलुरु साउथ में 53.70 फीसदी। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने निराशा व्यक्त की कि भागीदारी बढ़ाने के उनके व्यापक प्रयासों के बावजूद मतदाताओं की उदासीनता बनी रही।

बेंगलुरु में चुनाव आयोग ने किए कई उपाय

बेंगलुरु के ग्रामीण इलाकों में लगभग 67.29 फीसदी मतदान हुआ। मांड्या और कोलार में क्रमश: 81.48 फीसदी और 78.07 फीसदी मतदान हुआ। कर्नाटक में चुनाव आयोग ने शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई पहल कीं। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग ऐप्स का इस्तेमाल किया, जिसमें वोटरों को पोलिंग बूथ तक जाने का पता बताया गया। 

इसके अलावा मतदाता पर्चियों में क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया गया, जिसे स्कैन करके वो अपना मतदान केंद्र का लोकेशन देख सकते थे। चुनाव आयोग ने पोलिंग बूथ में पार्किंग की सर्विस उपलब्ध कराई थी। मतदाता हेल्पलाइन और 'नो योर कैंडिडेट' ऐप मतदान प्रक्रिया को सरल बनाने के अभियान का हिस्सा थे।

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