इंडियन क्रिमिनल लॉ में 3 सुधार, अमित शाह ने कहा- अब महिलाओं-बच्चियों के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोकसभा में भारतीय आपराधिक कानूनों में बड़े बदलाव वाला विधेयक पेश किया है। इसमें एक तरफ जहां राजद्रोह को खत्म किया गया है, वहीं दूसरी तरफ मॉब लिंचिंग कानून को सख्त बनाया गया है।

Amit Shah In Loksabha. भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने इंडियन क्रिमिनल लॉ में बड़े बदलाव करने वाले 3 विधेयक लोकसभा में पेश किए हैं। इन तीन नए विधेयकों के जरिए आईपीसी (1857), सीआरपीसी (1858), इंडियन एविडेंस एक्ट (1872) को खत्म किया जाएगा। साथ ही देशद्रोह की जगह अब संशोधित कानून में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले अपराधों को जोड़ा गया है। वहीं मॉब लिंचिंग के मामलों में त्वरित न्याय के साथ मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।

अमित शाह ने कहा- नहीं चलेंगे अंग्रेजों के कानून

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार की तरफ से औपनिवेशिक समय से चले आ रहे तीन क्रिमिनल कानूनों मे बड़े बदलाव किए हैं। केंद्र ने जो नया बिल पेश किया है, उसके मुताबिक पहला 1860 की भारतीय दंड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता किया गया है। दूसरा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य लेगा। तीसरा भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लेगा। इन तीनों कानूनों को समीक्षा के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देशद्रोह कानून खत्म कर दिया गया है। जो कानून प्रस्तावित है उसमें 'देशद्रोह' शब्द नहीं है। 

 

 

इन पुराने कानूनों की जगह लेंगे नए कानून

  1. भारतीय दंड संहिता (1857) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता बिल (2023) होगा
  2. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (1852) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा बिल (2023) होगा
  3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह अब भारतीय साक्ष्य बिल (2023) होगा

क्या कहता है नया कानून- भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा बिल और भारतीय साक्ष्य बिल

रिपोर्ट्स के अनुसार नए कानून के तहत जो कोई जानबूझकर, बोले गए या लिखे गए शब्दों से या संकेतों से, या फिर वीडियो, इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से या फिर धन देकर किसी को उकसाता है, जो भारत की एकता, अखंडता को खतरे में डालता है, उसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। आजीवन कारावास के अलावा दोषी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। स्पष्टीकरण में यह कहा गया है इसमें सरकार के उपायों या प्रशासनिक कार्रवाई की अस्वीकृति व्यक्त करने वाली टिप्पणियां भी शामिल हैं।

नये कानून में मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा का प्रावधान

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान भी करेगा। अन्य प्रस्तावित दंड में सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास की सजा है। नाबालिग से बलात्कार के लिए मौत की सजा तक दी जा सकती है। यह नया बिल महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और राज्य के खिलाफ अपराध के कानूनों को प्राथमिकता देने वाला है। जो व्यक्ति अपनी पहचान छिपाकर किसी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करता है, उसे नए कानून के तहत सजा मिलेगी।

गृहमंत्री अमित शाह ने क्या कहा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को बताया कि इसका उद्देश्य ब्रिटिश काल के कानूनों में सुधार करना है। जिन कानूनों को खत्म किया जाएगा…उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उन्हें मजबूत करना था। उन कानूनों का मकसद दंड देना था न कि न्याय देना। उन्हें बदलकर तीन नए कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों को मजबूत करेंगे।

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