जाति आधारित जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें जनगणना पर रोक लगा दी गई थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसमें बिहार में की जा रही जाति आधारित जनगणना पर रोक लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार सरकार को झटका लगा है।
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने बिहार सरकार के इस तर्क पर गौर किया कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "डेटा कौन जमा कर रहा है? हम देखेंगे कि जनगणना किस तरह की जा रही है।" जस्टिस अभय एस ओका और राजेश बिंदल की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
बिहार सरकार ने कहा था- हाईकोर्ट के आदेश से होगा नुकसान
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जातीय जनगणना पर रोक लगा दिया था। बिहार सरकार ने 11 मई को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। पटना हाईकोर्ट ने 4 मई को जनगणना पर रोक लगाया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बिहार सरकार ने कहा था कि हाईकोर्ट के आदेश से चल रही जनगणना प्रक्रिया को नुकसान होगा।
बिहार सरकार ने कहा कि जाति सर्वेक्षण पूरा होने के कगार पर है। 80 फीसदी से अधिक काम हो गया है। कुछ जिलों में तो सिर्फ 10 फीसदी काम बचा है। ग्राउंड लेवल पर पूरी मशीनरी लगी हुई है। इस पर रोक लगाने से बिहार को भारी नुकसान होगा। पूरी कवायद पर उल्टा असर होगा। कोर्ट से मामले पर फैसला आने से पहले सर्वेक्षण पूरा करने से कोई नुकसान नहीं होगा।
3 जुलाई को पटना हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
पटना हाईकोर्ट ने 9 मई को बिहार सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक की जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 3 जुलाई तय की है और कहा है कि तब तक जनगणना पर रोक रहेगी। दरअसल, बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर 7 से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और 15 मई तक जारी रहने वाला था।