Bihar Election 2025: 7.45 करोड़ मतदाता, 90 हज़ार बूथ, 67.13% वोटिंग फिर भी जीरो एरर रीपोलिंग कैसे?

Published : Nov 13, 2025, 09:42 AM ISTUpdated : Nov 13, 2025, 09:56 AM IST
Bihar record voting zero repoll election

सार

बिहार चुनाव 2025 में 67.13% रिकॉर्ड मतदान और एक भी पुनर्मतदान नहीं हुआ। महिला वोटिंग 71.78% रही। चुनाव आयोग ने इसे “बिहार फ़र्स्ट” सुधारों की ऐतिहासिक सफलता बताया।

नई दिल्ली। बिहार ने एक बार फिर लोकतंत्र का सबसे चमकदार उदाहरण पेश किया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बुधवार को पुष्टि की कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 67.13% का रिकॉर्ड मतदान दर्ज किया गया है-जो आज़ादी के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है। इससे भी बड़ी उपलब्धि यह रही कि इस बार एक भी पुनर्मतदान (Re-poll) नहीं हुआ। यह उपलब्धि चुनाव आयोग की “बिहार फ़र्स्ट” पहल की सफलता मानी जा रही है। मार्च 2025 से शुरू हुए इस मिशन के तहत 17 बड़े चुनावी सुधार किए गए, जिनमें 100% वेबकास्टिंग, बूथ स्तर पर निगरानी, और मतदाता सूची की गहन समीक्षा शामिल थी।

बिहार ने बदल दी भारत की चुनावी तस्वीर?

बिहार ने इस बार सिर्फ रिकॉर्ड वोटिंग ही नहीं की, बल्कि लोकतंत्र में विश्वास की नई मिसाल भी पेश की। चुनाव आयोग ने बताया कि जहां 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में पुनर्मतदान हुए थे, वहीं 2025 में सभी 122 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान बिना किसी गड़बड़ी के पूरा हुआ।

महिला मतदाताओं ने भी इस बार रचा इतिहास

  • 71.78% महिलाओं ने वोट डाला, जबकि पुरुषों का प्रतिशत 62.98% रहा।
  • यह आंकड़ा दिखाता है कि बिहार की महिलाएं अब सिर्फ वोटर नहीं, बल्कि बदलाव की नेता बन चुकी हैं।

कैसे संभव हुआ “Zero Repoll”? जानिए चुनाव आयोग की 5 बड़ी रणनीतियां

  1. 100% वेबकास्टिंग मॉनिटरिंग: सभी 90,740 मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग से निगरानी हुई।
  2. डिजिटल कंट्रोल सिस्टम (ECInet): रियल-टाइम डेटा अपडेट और फील्ड रिपोर्टिंग ने पारदर्शिता बढ़ाई।
  3. स्वच्छ मतदाता सूची (SIR 2025): 7.45 करोड़ मतदाताओं की नई, अद्यतन और त्रुटिरहित लिस्ट तैयार हुई।
  4. प्रशिक्षित बूथ लेवल अधिकारी: दिल्ली के IIIDEM संस्थान में विशेष ट्रेनिंग से मतदान प्रक्रिया सटीक बनी।
  5. EVM और VVPAT सुधार: हर वोट की गणना सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य क्रॉस-वेरिफिकेशन हुआ।

“बिहार फर्स्ट” पहल-ईमानदार और समावेशी चुनावों की नई परिभाषा

  • मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू व विवेक जोशी की अगुवाई में, बिहार को “फ्री एंड फेयर इलेक्शन” का मॉडल स्टेट घोषित किया गया।
  • किसी भी सीट पर हिंसा, धांधली या अनियमितता की शिकायत दर्ज नहीं हुई।
  • भारतीय चुनाव आयोग ने साफ कहा “यह लोकतंत्र की सबसे पारदर्शी परीक्षा थी।”

क्या ‘बिहार मॉडल’ अब पूरे देश में लागू होगा?

विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार का यह शांतिपूर्ण, रिकॉर्ड-ब्रेकिंग चुनाव भविष्य के लिए एक राष्ट्रीय रोल मॉडल बन सकता है। 2025 में बिहार ने सिर्फ वोट नहीं डाले, उसने साबित किया कि तकनीक, पारदर्शिता और लोगों के भरोसे से लोकतंत्र और मजबूत हो सकता है।  इसके अलावा, आयोग ने EVM और VVPAT सिस्टम में भी सुधार किए, और पहली बार मतदाता-केंद्रित ऐप लॉन्च किया जिससे मतदाता अपने केंद्र, पर्ची और वोटिंग स्टेटस की जानकारी रियल टाइम में प्राप्त कर सके। यह सब मिलकर बिहार को भारत का पहला “Zero Repoll” राज्य बनाता है, जहां पारदर्शिता, तकनीक और नागरिक सहभागिता ने मिलकर लोकतंत्र की नई मिसाल पेश की है।

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