Mahakumbh 2025: महाकुंभ में बिछड़ी बिहार की लखपतो 15 दिनों बाद झारखंड में मिली, सोशल मीडिया ने फिर किया साबित

Published : Mar 14, 2025, 04:42 PM IST
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सार

Mahakumbh 2025:बिहार की लखपतो देवी कुंभ मेले में भीड़ में गुम हो गई थीं। सोशल मीडिया की मदद से झारखंड में मिलीं और 15 दिन बाद अपने परिवार से फिर जुड़ गईं। जानें पूरी कहानी। 

Mahakumbh 2025: सोशल मीडिया ने एक बार फिर अपनी ताकत साबित की है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले (Maha Kumbh Mela 2025) में भीड़ के कारण बिहार की एक महिला लापता हो गई थी। महाकुंभ में गुम हुई महिला करीब 15 दिन बाद झारखंड में भटकते हुए मिली। मां-बेटे दोनों मिल गए हैं और मिलन के इस भावुक क्षण के लिए सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। सोशल मीडिया पर जानकारी पाकर ही बेटा अपनी मां को झारखंड से वापस ला सका।

महाकुंभ की भीड़ में बिछड़ी थी...

बिहार की रोहतास जिला निवासी लखपतो देवी 23 फरवरी को अपने परिवार के साथ महाकुंभ में पहुंची थीं। वहां भीड़ के कारण वे अपने परिजनों से बिछड़ गईं। दो दिन तक लगातार खोजबीन करने के बाद भी जब कोई सुराग नहीं मिला तो परिवार निराश होकर वापस लौट गया और पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

झारखंड के गढ़वा में मिलीं लखपतो देवी

करीब 15 दिन बाद 10 मार्च को खबर आई कि लखपतो देवी झारखंड के गढ़वा जिले (Garhwa, Jharkhand) में मिली हैं। प्रयागराज से करीब 310 किलोमीटर दूर और रोहतास से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जिले में उनकी देखभाल बहियार खुर्द गांव की सरपंच सोनी देवी (Soni Devi) ने की। उन्होंने लखपतो देवी को सुरक्षित रखा और उनके परिवार से मिलाने की हर संभव कोशिश की।

सोनी देवी के पति वीरेंद्र बैठा (Virendra Baitha) के अनुसार, महिला जब गढ़वा पहुंचीं तो वे काफी भ्रमित और कमजोर थीं। वे यह भी नहीं बता पा रही थीं कि वे झारखंड तक कैसे पहुंचीं। सोनी देवी ने उन्हें अपने घर में आश्रय दिया, भोजन कराया और पूरी तरह से सुरक्षित रखा।

सोशल मीडिया से हुआ बड़ा खुलासा

महिला की मानसिक स्थिति को देखते हुए वीरेंद्र बैठा ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने अपने एक परिचित से मदद लेकर लखपतो देवी की तस्वीर और जानकारी इंटरनेट पर साझा की। देखते ही देखते यह पोस्ट वायरल हो गई और बिहार के रोहतास में उनके बेटे राहुल कुमार (Rahul Kumar) तक पहुंच गई। जैसे ही राहुल ने यह पोस्ट देखी, वह तुरंत झारखंड के गढ़वा पहुंचे और अपनी मां को पहचान लिया। जरूरी औपचारिकताओं के बाद वे अपनी मां को घर वापस ले आए।

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