बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका, 29 नवंबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Published : Oct 18, 2022, 02:09 PM IST
बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका, 29 नवंबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सार

बहुचर्चित बिलकिस बानो गैंगरेप मामले (Bilkis Bano Case) में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।  

Bilkis Bano Case In Suprem Court. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 2022 के बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगा। गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप मामला सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने निर्देश दिया है कि गुजरात सरकार द्वारा दायर जवाब सभी पक्षों को उपलब्ध कराया जाए। याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार द्वारा दायर हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय भी दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार ने एक काउंटर दायर किया है। सभी वकीलों को जवाबी हलफनामा उपलब्ध कराया जाए। वहीं गुजरात सरकार ने सोमवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि छूट को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता और कुछ नहीं बल्कि 'इंटरलॉपर' और 'व्यस्त व्यक्ति' हैं। सरकार ने यह भी कहा था कि इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई थी। इसलिए उसे केंद्र से दोषियों को छूट देने के लिए उपयुक्त आदेश मिले थे। 

क्या है बिलकिस बानो गैंगरेप केस
गुजरात के गोधरा में ट्रेन जलने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान भागते समय बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। तब बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी। बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की भी हत्या की गई थी जिसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी। इस मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया। गुजरात सरकार ने राज्य की छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी। उन्होंने जेल में 15 साल से अधिक समय गुजारा था।

2008 में मिली थी सजा
मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 आरोपियों का उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाइकोर्ट ने भी उनकी सजा को बरकरार रखा था। 15 साल तक जेल में बिताने के बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को यह आदेश दिया था कि राज्य की रिहाई नीति 1992 के आधार पर आरोपियों की दोष सिद्धि की तारीख के आधार पर रिहाई का निर्णय ले। फिर राज्य सरकार ने नीतियों के तहत उनकी रिहाई की।

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