18वीं लोकसभा में पहला बजट पेश होने के बाद उस पर संसद में बहस चल रही है। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बजट पर अपनी राय रखी। उन्होंने बजट को 21वीं सदी का नया चक्रव्यूह करार दिया।
BJP leaders slams Rahul Gandhi: लोकसभा में बजट सेशन के दौरान राहुल गांधी ने इसे 21वीं सदी का चक्रव्यूह करार दिया। राहुल गांधी ने कहा कि इस चक्रव्यूह को देश के छह लोग कंट्रोल कर समाज के हर वर्ग को फंसाकर मारने में लगे हुए हैं। उन्होंने अपनी स्पीच में केंद्र सरकार की नीतियों को जमकर कोसा। नेता प्रतिपक्ष की स्पीच को लेकर बीजेपी नेताओं ने हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी को पाखंड का चेहरा करार देते हुए अपनी बातों पर कायम नहीं रहने का आरोप लगाया। तो मुंबई बीजेपी के उपाध्यक्ष हितेश जैन ने राहुल गांधी के भाषण को विभाजनकारी, अराजकतापूर्ण बताया है।
शहजाद पूनावाला बोले: राहुल गांधी पांखड का चेहरा
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि यदि पांखड का कोई दूसरा चेहरा होता तो उनका होता। उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड काल में राहुल गांधी ने बड़े बिजेनस की मदद करो, एमएसएमई की मत करो। आज वह कह रहे कि एमएसएमई की मदद करो, बड़े बिजनेस को नहीं।
हितेश जैन ने राहुल के भाषण को बताया अराजकतापूर्ण
मुंबई बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष हितेश जैन ने कहा कि संसद में राहुल गांधी का भाषण एक विभाजनकारी, अराजकतापूर्ण भाषण था। उनकी बयानबाजी देश की एकता को नष्ट करने के उद्देश्य से सस्ते रोमांच से भरी थी। धन सृजनकर्ताओं और संस्थाओं का मजाक उड़ाना देश की प्रगति के प्रति उनकी घोर उपेक्षा को दर्शाता है। राहुल गांधी, उन्हीं संस्थाओं की उपज हैं, जिनका वे मजाक उड़ाते हैं, वे केवल अपने लाभ के लिए समाज को विभाजित करना चाहते हैं। उनके भाषण में विश्वसनीय डेटा, ठोस तथ्य और ईमानदार इरादे का अभाव था। यह राजनेता नहीं है; यह किसी भी कीमत पर सत्ता पाने की एक हताश कोशिश है। राहुल गांधी से एकता की उम्मीद करना बहुत ज्यादा है। हिंदू धर्म का लगातार दुरुपयोग और उसका मजाक उड़ाना उनके चरित्र के अनुरूप है। चक्रव्यूह की बात करें तो भारत राहुल गांधी और उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए अक्षमता, भ्रष्टाचार और विभाजनकारी एजेंडे के चक्रव्यूह से मुक्त हो रहा है। तथ्यों से रहित और गाली-गलौज से भरा उनका भाषण अप्रासंगिकता की आग में जलने लायक है। राहुल गांधी का आज का भाषण अपमानजनक था। उनकी बकवास सिर्फ़ सत्ता हथियाने और हमारे महान राष्ट्र को विभाजित करने का प्रयास थी। समाधान प्रस्तुत करने के बजाय, उन्होंने अपने असली इरादों को दिखाते हुए अपमान और मज़ाक करना चुना।
हितेश जैन ने कहा कि भारत की ताकत एकता और प्रगति में निहित है, न कि राहुल गांधी की विभाजनकारी और विनाशकारी राजनीति में। हमें एक साथ खड़े होकर हमारे संस्थानों और मूल्यों को कमज़ोर करने के उनके प्रयासों को अस्वीकार करना चाहिए। यह चिंताजनक है और अराजकता के खिलाफ़ लड़ाई छेड़ना ज़रूरी है। राहुल गांधी के घृणित और विभाजनकारी एजेंडे को पहचाना जाना चाहिए। युवा, मध्यम वर्ग और सभी समुदायों को एकजुट होना चाहिए और हमारी एकता को नष्ट करने और देश को तोड़ने के उनके प्रयासों के खिलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए। एक राष्ट्र के रूप में हमारे पास दो विकल्प हैं: राहुल गांधी के नेतृत्व में अराजकता और घृणा के रास्ते पर चलें या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकासशील भारत के दृष्टिकोण को अपनाएँ। हमें समझदारी से चुनाव करना चाहिए और राहुल गांधी के सस्ते रोमांच में नहीं पड़ना चाहिए।
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