नए संसद भवन की कमियां गिनाई तो जयराम रमेश को जेपी नड्डा ने दिया करारा जवाब, बोले- यह दयनीय मानसिकता

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नए संसद भवन की कमियां गिनाने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश पर निशाना साधा है।

Vivek Kumar | Published : Sep 23, 2023 6:36 AM IST / Updated: Sep 23 2023, 12:11 PM IST

नई दिल्ली। नए संसद भवन में काम शुरू हो गया है। विशेष सत्र के दौरान यहां से बीते दिनों महिला आरक्षण बिल 2023 पास किया गया। जहां हर ओर नए संसद भवन की भव्य बनावट की चर्चा हो रही है वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसमें भी खामियां तलाश ली हैं। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट किया है, जिसपर भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने करारा पलटवार किया है।

जेपी नड्डा ने ट्वीट किया, "कांग्रेस पार्टी के निम्नतम मानकों के हिसाब से भी यह एक दयनीय मानसिकता है। यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अपमान के अलावा और कुछ नहीं है। वैसे भी, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस संसद विरोधी है। उन्होंने 1975 में कोशिश की और यह बुरी तरह विफल रही।"

 

 

वहीं, गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, "पूरे भारत में राजवंशीय मांदों के मूल्यांकन की जरूरत है। शुरुआत के लिए 1 सफदरजंग रोड परिसर को तुरंत भारत सरकार को दे देना चाहिए। क्योंकि सभी प्रधानमंत्रियों के पास अब पीएम संग्रहालय में जगह है।"

 

 

जयराम रमेश ने किया यह ट्वीट

इससे पहले जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "खूब प्रचार के बाद नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया। यह वास्तव में पीएम के उद्देश्यों को अच्छी तरह से साकार करता है। इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए। चार दिनों में मैंने जो देखा वह दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत की समाप्ति थी। यदि वास्तुकला लोकतंत्र को मार सकती है तो संविधान को दोबारा लिखे बिना प्रधानमंत्री पहले ही सफल हो चुके हैं।"

 

 

उन्होंने आगे लिखा, "एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता होती है। हॉल बिल्कुल आरामदायक या कॉम्पैक्ट नहीं हैं। पुराने संसद भवन की न केवल एक विशेष आभा थी बल्कि यह बातचीत की सुविधा भी प्रदान करता था। वहां एक सदन से दूसरे सदन, सेंट्रल हॉल और कॉरिडोर में जाना आसान था। नया संसद संचालन सफल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमजोर करता है। पुरानी इमारत में यदि आप खो जाते थे तो आपको अपना रास्ता मिल जाता था। क्योंकि यह गोलाकार था। नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं तो भूलभुलैया में खो जाते हैं।"

जयराम रमेश ने लिखा, “संसद में बस घूमने का आनंद गायब हो गया है। मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था। नया भवन दर्दनाक है। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी पार्टियों के कई सांसदों को भी ऐसा लगता होगा। शायद 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा।”

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