ब्लिंकिट ऐप ने कस्टमर को भेजे थैंक्स मैसेज में कर दिया ब्लंडर, मचा बवाल

ब्लिंकिट डिलेवरी ऐप ने कर्नाटक में कन्नड़ भाषी एक व्यक्ति को हिंदी में सूचना देकर विवाद पैदा कर दिया। दरअसल, ऐप ने डिलेवरी के बाद कन्नड़ बोलने वाले व्यक्ति को यह मैसेज भेजा कि आपका सामान डिलेवर हो गया।

Blinkit delivery app blunder: एक कहावत है नीम हकीम खतरा-ए-जान। हिंग्लिश की उपयोगिता बढ़ने के साथ ही गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में कई बार ऐसी स्थितियां आ जा रही हैं कि सामने वाले को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। ब्लिंकिट डिलेवरी ऐप ने कर्नाटक में कन्नड़ भाषी एक व्यक्ति को हिंदी में सूचना देकर विवाद पैदा कर दिया। दरअसल, ऐप ने डिलेवरी के बाद कन्नड़ बोलने वाले व्यक्ति को यह मैसेज भेजा कि आपका सामान डिलेवर हो गया। इस मैसेज के मिलने के बाद वह व्यक्ति खासा नाराज हो गया क्योंकि कन्नड़ में गया का मतलब होता है घाव।

दरअसल, कर्नाटक में कन्नड़ भाषा पर स्थानीय लोग जोर दे रहे हैं। लेकिन ब्लिंकिट डिलेवरी ऐप जैसे तमाम ऐप या प्लेटफार्म अभी भी अंग्रेजी या हिंदी का ही प्रयोग कर रहे हैं। अब इन ऐप को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए स्थानीय कन्नड़ भाषा के उपयोग की मांग कर रहे हैं। इसी बीच एक ब्लंडर ने लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया।

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यूजर ने की ब्लिंकिट की शिकायत

एक ऐप यूजर ने ब्लिंकिट की सपोर्ट टीम के साथ एक चैट स्क्रीनशॉट साझा करते हुए, ‘X’ पर @Metikurke के नाम से अपनी शिकायत दर्ज कराई है। @Metikurke ने लिखा: ब्लिंकिट ने एक हानिकारक सूचना भेजी और मुझे “गया” की शुभकामना दी। इसका कन्नड़ में अर्थ “घाव” होता है। मैंने उनसे कहा कि अगर मुझे एक और धमकी भरी सूचना मिली तो मैं पुलिस में शिकायत दर्ज कराऊंगा। उसके बाद उन्होंने विदेशी भाषाओं में बकवास भेजना बंद कर दिया। हमें इसी तरह से निपटना चाहिए!!

हुआ यह कि @Metikurke यूजर ने ब्लिंकिट डिलेवरी ऐप के माध्यम से कुछ सामान मंगाया था। ऐप ने ऑर्डर को तय समय से पहले डिलेवर कर दिया। इसके बाद ब्लिंकिट ने हिंदी में उस कस्टमर को एक मैसेज भेजा जिसमें लिखा था कि देखिए यह ऑर्डर 12 मिनट में डिलीवर हो गया। इस मैसेज के मिलने के बाद उस कन्नड़ बोलने वाले शख्स को गुस्सा आ गया। यह इसलिए क्योंकि हिंदी का “गया” शब्द, कन्नड़ में घाव के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालांकि, उस व्यक्ति की शिकायत मिलने के बाद ब्लिंकिट ने उनको मैसेज भेजना बंद कर दिया।

लेकिन उस व्यक्ति ने मांग की कि ऐप द्वारा कन्नड़ में संवाद किया जाए। ऐप को मैसेज कर पूछा कि यदि आप इस क्षेत्र की आधिकारिक भाषा में सेवाएँ नहीं दे सकते हैं तो आप बेंगलुरु में क्यों काम कर रहे हैं? कन्नड़ बेंगलुरु की एकमात्र आधिकारिक भाषा है।

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