ब्लू माउंटेन कही जाती हैं नीलगिरि की पहाड़ियां, सबसे खूबसूरत जगहों में से एक, जहां CDS का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ

घने जंगल और नीलगिरि पर्वत श्रृंखला वाला यह इलाका वैसे तो बेहद खूबसूरत है। दक्षिण भारत की इस पर्वत श्रृंखला में मीलों दूर तक घने जंगल हैं। हरे भरे जंगल और जहां तक नजर जाए वहां तक फैले पहाड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

कन्नूर। सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) का हेलिकॉप्टर (Mi-17V5) बुधवार को तमिनलाडु के कुन्नूर (Coonoor) के पास क्रैश हुआ। इस हादसे में सीडीएस और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों का निधन हो गया। जहां हादसा हुआ, उस जगह का मौसम काफी खराब था। यह इलाका नीलगिरि के पर्वतों से लगा हुआ है। घने जंगल और पर्वत श्रृंखला वाला यह इलाका वैसे बेहद खूबसूरत है। दक्षिण भारत की इस पर्वत श्रृंखला में मीलों दूर तक घने जंगल हैं।



नीलगिरि पर्वत श्रृंखला उत्तर में अन्ना मलाई और दक्षिण में यह पालनी पहाड़ी से घिरी हुई है। इस पूरी पर्वत श्रृंखला में 8 झीलें इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। 130 किमी चौड़ाई और 185 किमी में फैली इन पहाड़ियों का कुल क्षेत्रफल 2,480 किमी बताया जाता है। नीलगिरि पर्वत का इतिहास 11वीं और 12वीं शताब्दी से शुरू होता है। इस पर्वत श्रृंखला का कुछ हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी आता है। यहां की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है, जिसकी कुल ऊंचाई 2,637 मीटर है। डोड्डाबेट्टा नीलगिरि पहाड़ियों की सर्वोच्च चोटियों में गिनी जाती है। भारत की टोडा जनजाति इस पर्वत श्रेणी के ढलानों पर रहती है। 



नीलगिरि की पहाड़ियों को 'ब्लू माउंटेंस भी कहा जाता है। इसकी चोटियां आस-पास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचती हैं। इन्हें रेड हिल्स भी कहा जाता है। इनमें से एक 2,637 मीटर ऊंची डोड्डाबेट्टा चोटी तमिलनाडु का शीर्ष बिंदु है।नीलगिरि पहाड़ियां पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं और नोयर नदी इन्हें कर्नाटक के पठार (उत्तर) तथा पालघाटी इन्हें अन्नामलाई, पालनी पहाड़ियों (दक्षिण) से अलग करती है। इनमें सबसे खूबसूरत स्थान ऊटी तमिलनाडु में ही है। इसके अलावा यहां मद्दुमलाई और कन्नूर जैसे खूबसूरत स्थान हैं। बड़ी संख्या में सैलानी ऊटी में आते हैं। 

मैदानी क्षेत्र के मुकाबले ठंडी और नम हैं पहाड़ियां 
नीलगिरि पहाड़ियां आस-पास के मैदानी क्षेत्र के मुकाबले ठंडी और नम हैं। ऊपरी पहाड़ियां लहरदार घास के क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। इन पर चाय, सिनकोना, कॉफी और सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती होती है। 

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