बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने मंगलवार को अंधविश्वास को बढ़ावा देने से रोकने के लिए अहम फैसला सुनाया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंधविश्वास और उससे जुड़े सामाग्री को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों के प्रसारण पर रोक लगाते हुए कहा कि ऐसे विज्ञापन प्रसारित करना जुर्म है। इसे लेकर चैनल और विज्ञापन देने वाली कंपनियों को कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने मंगलवार को अंधविश्वास को बढ़ावा देने से रोकने के लिए अहम फैसला सुनाया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंधविश्वास और उससे जुड़े सामाग्री को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों के प्रसारण पर रोक लगाते हुए कहा कि ऐसे विज्ञापन प्रसारित करना जुर्म है। इसे लेकर चैनल और विज्ञापन देने वाली कंपनियों को कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
बेंच ने मंगलवार को हनुमान चालीसा यंत्र के विज्ञापन के प्रसारण के मामले में सुनवाई करते हुए चार टीवी चैनलों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने कहा, इससे जनता के बीच अंधविश्वास को बढ़ावा मिलता है।
चैनलों पर भी होगी कार्रवाई
मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, काला जादू अधिनियम की धारा 3 ना सिर्फ जादू, बुरी प्रथाओं को प्रतिबंधित करती है, बल्कि उनके प्रचार प्रसार को रोकने का काम करती है। कोर्ट ने कहा, इस अधिनियम की धारा 3 (2) के तहत, इस तरह की गतिविधियों में शामिल होना भी अपराध की श्रेणी में है। इसलिए ऐसे विज्ञापन प्रसारित करने वाले भी इसके तहत कार्रवाई में आएंगे।
क्या था याचिका में?
दरअसल, हाईकोर्ट में शिक्षक राजेंद्र अंभोरे ने एक याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने चैनलों पर प्रसारित होने वाले ऐसे विज्ञापनों की शिकायत की थी, जिसमें देवी देवताओं के नाम पर यंत्र का प्रचार किया जा रहा है, और लोगों को लालच देकर इसे खरीदने की अपील की जा रही है।
कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा, ऐसे विज्ञापनों को रोकने के लिए विशेष सेल बनाई जाए, और यह निश्चित किया जाए, कि ऐसे विज्ञापन टीवी पर प्रसारित ना हों।