केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि कुछ दिनों में कोई न कोई निष्कर्ष निकले, क्योंकि शुक्रवार को वार्ता का एक और दौर तय किया गया है। इसलिए सुनवाई करना ठीक नहीं होगा। कोर्ट ने बात मान ली और सुनवाई सोमवार तक टाल दी। कोर्ट ने कहा कि बातचीत जारी रखें।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 42वां दिन है। कृषि कानूनों को रद्द करने की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी तक टाल दिया है। सीजेआई एसए बोबडे, ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि किसानों के विरोध के बारे में स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
कोर्ट ने क्यों दी 11 जनवरी की तारीख?
एजी केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि कुछ दिनों में कोई न कोई निष्कर्ष निकले, क्योंकि शुक्रवार को वार्ता का एक और दौर तय किया गया है। इसलिए सुनवाई करना ठीक नहीं होगा। कोर्ट ने बात मान ली और सुनवाई सोमवार तक टाल दी। कोर्ट ने कहा कि बातचीत जारी रखें।
कृषि कानूनों और किसानों से जुड़ी 6 याचिकाएं
तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक और कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली छह याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं। इसके अलावा दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने की मांग की गई है। प्रदर्शनकारी किसानों के मानव अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कई याचिकाएं भी दायर की गई हैं।
8वें दौर की बातचीत में किसने क्या कहा?
8 जनवरी को किसानों और सरकार के बीच बातचीत
8 जनवरी को किसानों और सरकार के बीच बातचीत होनी है। उससे पहले किसान ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों के साथ ही महिलाएं भी ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं। महिलाओं का कहना है कि सरकार को पता होना चाहिए कि इस बैटिल फील्ड में महिला शक्ति भी जुड़ चुकी है। वहीं किसानों का कहना है कि महिलाओं को जोड़ने के पीछे मकसद सरकार को ये बताना है कि उनके पीछे उनका परिवार खड़ा है।