BrahMos Aerospace जासूसी कांड: जेल में बंद आरोपी इंजीनियर को जमानत, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा-5 साल से केस में प्रगति नहीं, अभियुक्त जमानत का हकदार

नागपुर में ब्रह्मोस एयरोस्पेस में कार्यरत इंजीनियर निशांत अग्रवाल को अक्टूबर 2018 में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सैन्य खुफिया और एटीएस द्वारा एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था।

BrahMos Aerospace spying: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में अरेस्ट ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। पांच साल से केस में प्रगति नहीं होने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी इंजीनियर को जमानत देने का निर्णय लिया। कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया कोई सामग्री नहीं है जिससे साबित होता है कि अभियुक्त ने कथित कृत्य जानबूझकर किया। न ही साढ़े चार साल से मुकदमें में कोई प्रगति है। जबकि अभियुक्त चार साल छह महीना से जेल में है। ऐसे में वह जमानत का हकदार है।

क्या है पूरा मामला?

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इंजीनियर निशांत अग्रवाल नागपुर में ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मिसाइल सेंटर के टेक्निकल रिसर्च सेक्शन में कार्यरत थे। उन्हें अक्टूबर 2018 में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सैन्य खुफिया और आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था। पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंजीनियर पर आईपीसी और कड़े आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (OSA) के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने चार साल तक ब्रह्मोस सुविधा में काम किया था और उन पर पाकिस्तान की आईएसआई को संवेदनशील तकनीकी जानकारी लीक करने का आरोप था। अग्रवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी मनोहर और अधिवक्ता देवेन चौहान ने जमानत की सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि ओएसए के प्रावधान उनके मुवक्किल के खिलाफ नहीं होंगे।

क्या कहा कोर्ट ने?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने जमानत आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला हनी ट्रैप और अवैध जासूसी गतिविधि में फंसाने के लिए अधिकारियों को लुभाने वाली साइबर गतिविधियों का है। यह अभियोजन पक्ष का मामला नहीं था कि अगर मूल रूप से उत्तराखंड के रुड़की के रहने वाले अग्रवाल को जमानत पर रिहा किया गया तो राज्य की सुरक्षा और सुरक्षा को खतरा होगा। बेंच ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि पिछले नौ महीनों में मामले में केवल छह गवाहों की जांच की गई जबकि 11 अन्य की गवाही होनी बाकी थी। ऐसे में यह स्पष्ट है कि परीक्षण जल्द समाप्त होने वाला नहीं है। चूंकि आवेदक (इंजीनियर अग्रवाल) काफी समय से जेल में हैं और इस बात की कोई संभावना नहीं है कि निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होगा। इस मामले में आवेदक जमानत देने का हकदार है। जस्टिस अनिल किलोर की बेंच ने आरोपी को 25,000 रुपये का निजी मुचलका भरने और मुकदमे के अंत तक सप्ताह में तीन बार नागपुर पुलिस स्टेशन में पेश होने का निर्देश दिया।

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