
BrahMos missile range: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इसी बीच भारत ने BrahMos Supersonic Cruise Missile का 800 किलोमीटर रेंज टेस्ट सफलतापूर्वक किया है। यह परीक्षण Bay of Bengal में हुआ और इसमें मिसाइल ने अपनी बेहद तेज़ रफ्तार (Mach 2.8-3.0) और pinpoint accuracy के साथ टारगेट को नेस्तनाबूद किया।
ब्रह्मोस के सफलतापूर्वक टेस्टिंग के बाद यह साफ हो चुका है कि भारत के पास एक ऐसी ताकत है जिससे वह पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को आसानी से टारगेट कर सकता है। चाहे वो मिलिट्री कमांड सेंटर्स हो, मिसाइल बेस हो या क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर्स।
इस परीक्षण को 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोगों की जान गई) से पहले ही किया गया था। जल्द ही एक और परीक्षण होगा जिसमें मिसाइल की stealth और precision strike क्षमताओं को और निखारा जाएगा।
दुनिया की सबसे तेज़ और सटीक क्रूज़ मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस, अपनी Mach 3 speed (आवाज की गति से तीन गुना) के कारण दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय ही नहीं देती। यह खासियत इसे almost impossible to intercept बनाती है।
शुरुआत में MTCR (Missile Technology Control Regime) की शर्तों के कारण ब्रह्मोस की रेंज 290 किमी तक सीमित थी लेकिन भारत के MTCR में शामिल होने के बाद इसकी ताकत में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई। अब 800 किमी रेंज के साथ भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब कोई भी सीमा सुरक्षा नहीं दे सकती।
विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रह्मोस की रफ्तार, सटीकता, और अब stealth तकनीक के मेल ने इसे भारत की सबसे विश्वसनीय deterrent बना दिया है। यह मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेंस को चकमा देकर गहराई में हमला करने की क्षमता रखती है।
भारत अब BrahMos-II के परीक्षण की दिशा में अग्रसर है, जो Mach 6-7 की अविश्वसनीय गति से दुश्मन के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होगी। इसके सफल परीक्षण भविष्य में भारत को missile technology में विश्व नेतृत्व दिला सकते हैं।
'ब्रह्मोस' नाम ही अपने आप में शक्ति का प्रतीक है। Brahmastra से प्रेरित यह मिसाइल आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक विरासत का मेल है। यह भारत की strategic autonomy और आत्मनिर्भर सैन्य क्षमता का जीवंत उदाहरण बन चुकी है।