Local for Global: फिलीपींस-इंडोनेशिया से ब्राजील तक, दुनियाभर में हमारे ब्रह्मोस की डिमांड

Published : Aug 10, 2025, 06:00 AM ISTUpdated : Aug 11, 2025, 05:43 PM IST
Independence Day 2025 Brahmos pride of India

सार

Indian Weapons in world: आजादी मिलने के बाद भारत ने रक्षा क्षेत्र में बड़ी प्रगति की। आज हमारे ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया सबसे ताकतवर क्रूज मिसाइलों में से एक मानती है। फिलीपींस से लेकर ब्राजील तक इसकी डिमांड है।

15 August 2025: 15 अगस्त 2025 को भारत 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। 15 अगस्त 1947 का अंग्रेजी शासन से आजादी पाने के बाद भारत ने हर क्षेत्र में तेज प्रगति की है। इसमें हमारा डिफेंस सेक्टर भी शामिल है। आज हम मिसाइलों के मामले में दुनिया की प्रमुख ताकत हैं। हमारे पास बैलिस्टिक से लेकर क्रूज तक, हर तरह के मिसाइल हैं। इनमें सबसे खास की बात करें तो ब्रह्मोस का स्थान ऊपरी क्रम में आता है।

मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसने पाकिस्तान के एयरबेस को तहस नहस कर दिया। ब्रह्मोस को पहले ही दुनिया सबसे अच्छे क्रूज मिसाइलों में गिनती थी। ऑपरेशन सिंदूर में इसने अपनी ताकत दिखाकर दुश्मन को कांपने के लिए मजबूर कर दिया।

क्यों खास है ब्रह्मोस?

  • ब्रह्मोस को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है। यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
  • बहुत अधिक तेज रफ्तार और कम ऊंचाई पर उड़ने के चलते रडार से ब्रह्मोस को देखना और एयर डिफेंस सिस्टम से रोक पाना बेहद मुश्किल है। मई में भारत ने जब पाकिस्तान के खिलाफ ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया तो उसके पास बचने का कोई इंतजाम नहीं था।
  • ब्रह्मोस मिसाइल की मोटाई 0.67 मीटर और लंबाई 8.0-8.2 मीटर है।
  • लॉन्च के समय इसका वजन 2200-3000kg (वैरिएंट के अनुसार) होता है। यह अपने साथ 200-300kg विस्फोटक ले जाता है।
  • ब्रह्मोस का रेंज शुरुआत में 290km था। इसे बढ़ाकर 500km तक किया गया है।
  • ब्रह्मोस की रफ्तार 2469-3457km/h है। इतनी तेज रफ्तार और क्रूज मिसाइल होने के चलते इससे बचना बेहद कठिन है।
  • ब्रह्मोस को स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है। इसे रडार से कम दिखाई देने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • ब्रह्मोस बेहद सटीक हमला करता है। अपने टारगेट तक पहुंचने के लिए यह INS (Inertial Navigation System) और GPS (Global Positioning System) का इस्तेमाल करता है।

ब्रह्मोस के कौन से बैरिएंट हैं?

जमीन से लॉन्च- जमीन से लॉन्च किए जाने वाले ब्रह्मोस मिसाइल को ट्रक पर लगे लॉन्चर में रखा जाता है। इससे इन्हें तेजी से तैनात कर सकते हैं। इनका इस्तेमाल जमीन और समुद्र में मौजूद टारगेट के खिलाफ कर सकते हैं। यह युद्धपोत को निशाना बना सकता है।

एयर लॉन्च- ब्रह्मोस को हवा से भी लॉन्च कर सकते हैं। इसे वर्तमान में सिर्फ सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमान से दाग सकते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ हमले में ब्रह्मोस के इसी वर्जन का इस्तेमाल हुआ। इससे भारत के विमान सीमा पार गए बिना हमला कर सके।

सबमरीन लॉन्च- ब्रह्मोस को पानी के अंदर घात लगाकर वार करने वाले सबमरीन से भी लॉन्च कर सकते हैं। इससे इनका इस्तेमाल दुश्मन के जहाजों और जमीनी ठिकानों के खिलाफ हो सकता है।

शिप लॉन्च- ब्रह्मोस को युद्धपोत से भी लॉन्च कर सकते हैं।

भविष्य में कैसा होगा ब्रह्मोस मिसाइल?

ब्रह्मोस के हाइपरसोनिक वर्जन पर काम चल रहा है। इसे ब्रह्मोस-II नाम दिया गया है। इसमें रैमजेट इंजन की जगह स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा। इसकी रफ्तार 6000km/h से 8643 तक होगी। इतनी अधिक रफ्तार के चलते यह दुश्मन को बचने का मौका तक नहीं देगा।

दुनिया भर में है ब्रह्मोस की डिमांड

ऑपरेशन सिंदूर से पहले से ही कई देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहते थे। इसके लिए सौदा किया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान असली लड़ाई में ब्रह्मोस ने जिस तरह अपनी क्षमता प्रदर्शित की, इससे दुनिया भर में इसकी मांग बहुत अधिक बढ़ गई है।

फिलीपींस: भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस के निर्यात के लिए 375 मिलियन डॉलर (3289 करोड़ रुपए) का सौदा किया था। इसके तहत तीन ब्रह्मोस तटीय रक्षा बैटरियों की सप्लाई की जानी है। दो बैटरी फिलीपींस को मिल गई है।

इंडोनेशिया: इंडोनेशिया भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। सौदे की अनुमानित कीमत लगभग 45 करोड़ डॉलर (3945 करोड़ रुपए) है। वह ब्रह्मोस मिसाइल का एडवांस वर्जन चाहता है।

वियतनाम: वियतनाम अपनी सेना और नौसेना दोनों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदने के लिए भारत के साथ समझौते पर काम कर रहा है।

मलेशिया: मलेशिया ने अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और केदाह श्रेणी के युद्धपोतों को इस मिसाइल से लैस करने में रुचि दिखाई है।

कई अन्य देशों जिनमें थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ओमान शामिल हैं ने भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है।

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