बसपा प्रमुख मायावती ने एकला चलो की नीति अपनाई है। उन्होंने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह न तो सत्ता पक्ष के गठबंधन का हिस्सा बनेंगी और न ही विपक्ष के गठबंधन का।
नई दिल्ली। बसपा (बहुजन समाज पार्टी) ने आने वाले लोकसभा चुनाव 2023 (Lok Sabha Election 2023) और इससे पहले होने वाले विधानसभा चुनावों में अकेले ही मैदान में उतरने का फैसला किया है। बसपा प्रमुख मायावती ने एकला चलो की नीति अपनाई है। उन्होंने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह न तो सत्ता पक्ष के गठबंधन का हिस्सा बनेंगी और न ही विपक्ष के गठबंधन में शामिल होंगी। मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कहा, "लोकसभा चुनाव बहुत नजदीक आ गया है। इसके चलते सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी गठबंधन की बैठकें हो रहीं हैं। इस मामले में हमारी पार्टी भी कोई पीछे नहीं है। इन चुनावों की तैयारी को लेकर पिछले कुछ समय से पूरे देश में पार्टी की छोटी-छोटी बैठकें हो रहीं हैं। एक तरफ सत्ता पक्ष का NDA फिर से अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहा है। दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन NDA को चुनाव में मात देने के लिए उनकी नीतियों और कार्यशैली का विरोध कर रहा है। इसमें बीएसपी भी पीछे नहीं है।"
मयावती ने कांग्रेस को बताया जातिवादी पार्टी
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मयावती ने कहा, "विपक्षी गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस आजादी के बाद शुरू में केंद्र व अधिकांश राज्यों में सत्ता में रही। कांग्रेस इस दौरान अगर अपनी जातिवादी और पूंजीवादी मानसिकता को त्यागकर देश हित में और कमजोर वर्ग के हित में काम किया होता तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को अपने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देना पड़ता। कांग्रेस अगर अंबेडकर का सुझाव मानती तो उसे आगे चलकर केंद्र व अधिकांश राज्यों की सत्ता से बाहर नहीं होना पड़ता। कमजोर वर्ग के लोगों को बीएसपी के नाम पर अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की जरूरत पड़ती।"
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मायवती बोलीं- मजबूत नहीं मजबूर सरकार बननी चाहिए
मायवती ने कहा, "कमजोर वर्ग के लोगों का साथ लाकर बीएसपी को मजबूती देनी है, जिससे यहां कोई गठबंधन केंद्र व राज्यों में सत्ता में पूरी मजबूती के साथ नहीं आ सके। इसकी जगह इनकी मजबूत नहीं मजबूर सरकार ही बनेगी। हमारी पार्टी का यह पूरा प्रयास होना चाहिए। बीएसपी के सत्ता में न आने की स्थिति में भी कमजोर वर्ग के लोगों का ये ज्यादा शोषण नहीं कर सकें। ऐसी स्थिति में बीएसपी को भी सत्ता में आने का मौका मिल सकता है। जब तक हमलोग अपने अकेले के बलबूते पर खड़े नहीं हो पाते हैं। अब बीएसपी को लोकसभा चुनाव में और इससे पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी अकेले ही चुनाव लड़कर अपनी पार्टी के लिए बेहतर रिजल्ट लाना होगा।बीएसपी पंजाब हरियाणा आदि राज्यों में वहां की रिजनल पार्टियों के साथ मिलकर जरूर चुनाव लड़ सकती है। शर्त यह है कि वर्तमान में NDA और बदले गए UPA से संबंध नहीं होना चाहिए।"
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