कलकत्ता हाईकोर्ट के जज ने दी सुप्रीम कोर्ट को चुनौती, SC ने आदेश पर लगाई रोक, कहा- ठीक नहीं है ऑर्डर

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इस मामले में शुक्रवार रात आठ बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज के आदेश पर रोक लगा दी है।

Vivek Kumar | Published : Apr 28, 2023 4:14 PM IST / Updated: Apr 28 2023, 09:49 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार रात आठ बजे विशेष सुनवाई कर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के आदेश पर रोक लगा दी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने आदेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी थी। गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया गया था कि वह आधी रात तक एक न्यूज चैनल को दिए गए अपने इंटरव्यू की कॉपी उनके सामने पेश करें।

इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती मामले को किसी अन्य जज को सौंपने का निर्देश दिया। गंगोपाध्याय ने इंटरव्यू में उस मामले के बारे में बात की जिसकी वह सुनवाई कर रहे थे। इसपर कोलकाता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। गंगोपाध्याय ने सीबीआई और ईडी को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का निर्देश दिया था।

जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया था आधी रात तक पेश करें इंटरव्यू की ट्रांस्क्रिप्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कुछ घंटे बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को अपने इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट पेश करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आधी रात तक इंटरव्यू की ट्रांस्क्रिप्ट हलफनामे के साथ उनके सामने पेश किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान सचिव से कहा-तत्काल हाईकोर्ट भेजें आदेश
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार रात 8 बजे विशेष सुनवाई की। जस्टिस एएस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि जस्टिस गंगोपाध्याय का आदेश "अनुचित" और "न्यायिक अनुशासन" के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने सेक्रेटरी जनरल को अपने आदेश की एक प्रति कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को तत्काल भेजने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “वर्तमान प्रकृति के आदेश को न्यायिक अनुशासन को ध्यान में रखते हुए न्यायिक कार्यवाही में पारित नहीं किया जाना चाहिए था। हम हाईकोर्ट के जज द्वारा स्वत: संज्ञान कार्यवाही में पारित आदेश पर रोक लगाते हैं। इस मामले में आगे की कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।”

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