पूर्व एसबीआई चीफ जनरल मैनेजर आदी केशवन ने कहा कि वायनाड में हुए भूस्लाइड से प्रभावित लोगों से कर्ज की ईएमआई वसूलना किसी भी तरह से उचित नहीं है और ग्रामीण बैंक को वसूली गई रक़म वापस करनी चाहिए।
तिरुवनंतपुरम: वायनाड में हुए भूस्लाइड से प्रभावित लोगों से कर्ज की ईएमआई वसूलने के ग्रामीण बैंक के कदम को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है और बैंक को वसूली गई रक़म वापस करनी चाहिए। यह बात बैंकिंग विशेषज्ञ और पूर्व एसबीआई चीफ जनरल मैनेजर एस आदी केशवन ने कही। वे एशियानेट न्यूज़ लाइवथॉन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यह घटना बहुत ही दुखद है। जिनके पास कोई रास्ता नहीं है, उनके पास आने वाली सहायता राशि से पैसे वसूलना किसी भी तरह से उचित नहीं है।
आज एसएलबीसी की बैठक है। इसमें मोरेटोरियम लागू होने की तारीख तय की जाएगी। आपदा के दिन से ही मोरेटोरियम लागू होगा। इस तरह का फैसला आज की बैठक में होना चाहिए। उसके बाद वसूली गई रक़म बुधवार तक वापस कर देनी चाहिए। वे ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बैंक ने आपदा राहत कोष से मिली सहायता राशि से ईएमआई वसूली है। यह किसी भी तरह से उचित नहीं है।
आदि केशवन ने कहा कि आपदा प्रभावितों को घर बनाने के लिए पैसे की व्यवस्था की जा सकती है। इसके साथ ही सरकार को कर्ज का अधिग्रहण करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। घर बनाने के लिए सभी ने मदद का वादा किया है। घर बनाने के लिए पैसे जुटाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अगर ऐसा नहीं भी होता है तो 500 परिवारों के लिए घर बनाने के लिए एक घर की लागत 30 लाख रुपये मानकर चलें तो कुल 150 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। फर्नीचर, रसोई के उपकरण आदि खरीदने के लिए कुल 25 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
इस तरह इस काम के लिए कुल 175 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। अनुमान है कि इलाके के सभी लोगों पर करीब 50 करोड़ रुपये का कर्ज होगा। मृतकों का कर्ज बैंकों के लिए माफ करना कोई मुश्किल काम नहीं है। कल होने वाली एसएलबीसी की बैठक में अगर इस बारे में प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इसे लागू करना आसान हो जाएगा। सरकार को आपदा प्रभावितों के कुल 50 करोड़ रुपये के कर्ज का अधिग्रहण करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे यह रक़म कहां से लाएंगे। आदी केशवन ने कहा कि अगर कर्ज का भुगतान नहीं किया गया तो सिबिल स्कोर समेत कई तरह की दिक्कतें आएंगी और बाद में कर्ज मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।