सोशल मीडिया गाइडलाइन को चुनौती देने दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे वॉट्सऐप को सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार का फिर जवाब दिया। आईटी मिनिस्टर ने सोशल मीडिया ऐप KOO पर अपनी राय दी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि डिजिटल मीडिया गाइड लाइन से आम यूजर्स को कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन हिंसा या भड़काऊ मैसेज भेजने वाले उपद्रवी तत्वों का पता लगाना जरूरी है। इस बीच ट्वीटर ने सरकार से गाइड लाइन लागू करने के लिए तीन महीने की मोहलत मांगी है। जानिए पूरा मामला...
नई दिल्ली. केंद्र सरकार की डिजिटल मीडिया गाइड लाइन का पालन करने से मना करने वाले वॉट्सऐप को सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार का फिर जवाब दिया। आईटी मिनिस्टर ने सोशल मीडिया ऐप KOO पर अपनी राय दी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि डिजिटल मीडिया गाइड लाइन से आम यूजर्स को कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन हिंसा या भड़काऊ मैसेज भेजने वाले उपद्रवी तत्वों का पता लगाना जरूरी है। इस बीच ट्वीटर ने सरकार से गाइड लाइन लागू करने के लिए तीन महीने की मोहलत मांगी है।
नए नियमों पर क्या कहा गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने?
- इन सबके बीच गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा, हम स्थानीय कानूनों पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गूगल सरकार के साथ नए रेग्यूलेटर फ्रेमवर्क के अनुपालन के लिए सरकार के साथ मिल कर काम करेगा। उन्होंने कहा, हम हमेशा हर देश के लोकल कानून की इज्जत करते हैं और हमारे पास क्लियर ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट्स हैं, जब जरूरत पड़ती है हम सरकार के आदेशों को मानते हैं।
पहले जानें गुरुवार को ट्वीटर ने क्या कहा
गाइड लाइन का मकसद घृणा, हिंसा और भड़काऊ मैसेज भेजने वालों का पता करना है
इधर, गुरुवार को सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फिर दुहराया कि सरकार का रुख स्पष्ट है कि डिजिटल मीडिया कंपनियों को किसी भी सूचना को भेजने वाले सबसे पहले व्यक्ति(first originator of information) की पहचान का खुलासा करना ही होगा। बता दें कि वाट्सऐप ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार की गाइडलाइन को यूजर्स की निजता का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है। वॉट्सऐप के भारत में 400 मिलियन यूजर्स हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार निजता के अधिकार ( right to privacyc) को समझती है और पूरा सम्मान करती है, इसलिए वॉट्सऐप के सामान्य यूजर्स को डरने की कोई जरूरत नहीं है। नई गाइडलाइन का उद्देश्य सिर्फ सोशल मीडिया के जरिये आपराधिक मैसेज वायरल करने वालों की पहचान करना है। घृणा, हिंसा और भड़काऊ मैसेज भेजने वालों का पता लगाना ही इस गाइड लाइन का मकसद है। नए नियम सिर्फ डिजिटल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए बनाए गए हैं। सरकार इससे जुड़ी आलोचना और सवालों का स्वागत करती है। ये नियम आम यूजर्स को सशक्त बनाते हैं, जब वे किसी दुरुपयोग का शिकार हो जाते हैं।
वाट्सऐप ने दी है दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती
सरकार ने तीन महीने पहले सोशल मीडिया गाइडलाइन तैयार की थी। इसे 25 मई तक सभी सोशल मीडिया कंपनियों को लागू करना था। लेकिन वॉट्सऐप ने गाइडलाइन का पालन करने से मना करा दिया है। उसने केंद्र सरकार के इस आदेश के खिलाफ उसने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वॉट्सऐप ने कहा कि किसी यूजर्स की चैट पर नजर रखना उसकी निजता का उल्लंघन होगा। वॉट्सऐप ने हवाला दिया है कि उसके लिए सारे मैसेज पर नजर रखना संभव नहीं। इससे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का फिर कोई औचित्य नहीं बचेगा।
25 फरवरी को जारी की थी गाइडलाइन
केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को यह गाइडलाइन जारी की थी। से 3 महीने में लागू करना था। लेकिन वॉट्सऐप, ट्विटर और इंस्टाग्राम ने सरकार को नहीं बताया कि उन्होंने गाइडलाइन का पालन करने क्या तैयारियां कीं। ऐसे में सरकार कोई कड़ा कदम उठा सकती थी। इसके बाद दिनभर सोशल मीडिया पर सवाल उठते रहे कि क्या फेसबुक, ट्वीटर, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम बंद हो जाएंगे? हालांकि वॉट्सऐप पर मालिकाना हक रखने वाली सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने मंगलवार को जरूर कहा था कि वो आईटी के नियमों का पालन करेगी। इसके अलावा सरकार से बातचीत जारी रखेगी।
सरकार ने यह जारी की थी गाइडलाइन