नौसेना पनडुब्बी जासूसी कांड: चार नेवी अधिकारियों समेत छह के खिलाफ सीबीआई ने दायर की चार्जशीट

गिरफ्तार आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत मिलने से रोकने के लिए सीबीआई ने मंगलवार को चार्जशीट दाखिल किया। हालांकि, सीबीआई ने बताया कि जांच अभी जारी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 2, 2021 12:57 PM IST

नई दिल्ली। भारत की किलो क्लास पनडुब्बियों (Kilo class submarines) की जासूसी कांड (spyware) में सीबीआई (CBI) ने भारतीय नौसेना (Indian Navy) के चार अधिकारियों समेत छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दिया है। नौसेना के चार अधिकारियों में दो रिटायर हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो छह लोगों पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाए गए हैं।

क्या है आरोप? 

सीबीआई ने चार्जशीट में कहा कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा भारत की किलो क्लास पनडुब्बियों के मीडियम रिफिट लाइफ सर्टिफिकेशन या एमआरएलसी कार्यक्रम की गोपनीय जानकारियां अनाधिकृत लोगों को दिया जा रहा था।

3 सितंबर को दो रिटायर्ड अधिकारियों को किया गया अरेस्ट

सीबीआई द्वारा 3 सितंबर को सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों रणदीप सिंह और एसजे सिंह को गिरफ्तार करने के बाद मामला सामने आया था। सूत्रों ने कहा कि कमोडोर रणदीप सिंह (सेवानिवृत्त) की संपत्ति की तलाशी के बाद करीब 2 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए।

आरोपित 6 में से 2 नौसेना कमांडर

जांच के आधार पर सीबीआई ने पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय में तैनात कमांडर अजीत कुमार पांडे को गिरफ्तार कर लिया था। इनके अलावा एक अन्य कमांडर, जो कमांडर पांडे के अधीन काम कर रहा था और उसी मुख्यालय में तैनात था, को भी गिरफ्तार किया गया।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, ये दोनों सेवारत कमांडर विदेशी कंपनियों के लिए काम कर रहे सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों को किलो क्लास सबमरीन की मरम्मत के बारे में गोपनीय व्यावसायिक जानकारी दे रहे थे।

सूत्र ने कहा कि कमांडर एसजे सिंह, जो इस साल की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए थे, एक कोरियाई कंपनी के लिए काम कर रहे हैं, जिसकी भारतीय नौसेना की परियोजनाओं में रुचि है। मामले में एक रियर एडमिरल सहित कम से कम एक दर्जन लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।

गिरफ्तार आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत मिलने से रोकने के लिए सीबीआई ने मंगलवार को चार्जशीट दाखिल किया। हालांकि, सीबीआई ने बताया कि जांच अभी जारी है। चूंकि, पूरा केस राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है इसलिए सीबीआई ने 2 सितंबर को दर्ज की गई एफआईआर को सार्वजनिक नहीं किया है। 

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