CDS बोले 'ब्रह्मास्त्र' है ब्रह्मोस, वायु सेना के विमानों को किया जाएगा BrahMos NG से लैस, जानें क्यों है यह खास

CDS जनरल अनिल चौहान ने ब्रह्मोस को अपने वक्त का ब्रह्मास्त्र कहा है। अभी सिर्फ सुखोई विमान से ब्रह्मोस दागा जा सकता है। वायु सेना दूसरे विमानों को BrahMos NG से लैस करना चाहती है।

नई दिल्ली। CDS (Chief of Defence Staff) जनरल अनिल चौहान ने भारत के सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos missile) को वर्तमान वक्त का 'ब्रह्मास्त्र' कहा है। भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के लड़ाकू विमान सुखोई एमकेआई 30 को इस मिसाइल से लैस किया गया है। BrahMos की अगली पीढ़ी BrahMos NG के मिसाइल विकसित किए जा रहे हैं। वायु सेना के दूसरे विमानों को भी इस मिसाइल से लैस किया जाएगा।

ब्रह्मोस एनजी आकार में वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल से छोटा और हल्का है। IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने बुधवार को कहा कि ब्रह्मोस एनजी से MiG-29, मिराज 2000 और तेजस विमान को लैस किया जाएगा। चीन और पाकिस्तान से सीमा पर मिल रही चुनौतियों को देखते हुए वायुसेना की कोशिश अधिक लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस से लैस करने की है।

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वायुसेना के हर स्क्वाड्रन में हैं ब्रह्मोस लेकर उड़ने वाले विमान

वीआर चौधरी ने कहा, "तीन साल पहले उत्तरी सीमाओं पर तनाव बढ़ने (चीन के साथ सीमा विवाद) पर हमने महसूस किया कि जमीन पर हमले के लिए ब्रह्मोस जैसे शक्तिशाली हथियारों का बहुत प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने स्क्वाड्रनों में ब्रह्मोस दागने में सक्षम विमानों की संख्या बढ़ाई है। आज हमारे पास भारतीय वायुसेना के लगभग सभी स्क्वाड्रन में ब्रह्मोस लेकर उड़ने वाले विमान हैं। हम ब्रह्मोस के अगली पीढ़ी के वर्जन ब्रह्मोस एनजी की ओर देख रहे हैं। इसे MiG-29, मिराज 2000 और यहां तक कि LCA तेजस में भी लगाया जा सकता है।"

वायुसेना प्रमुख ने कहा, "दुनिया भर में हो रहे संघर्षों को देखते हुए लंबी दूरी तक सटीक हमला करने की क्षमता के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसपर हमें ध्यान देना होगा। ऐसे छोटे हथियार की जरूरत है रेंज और मारक क्षमता में बड़े हथियार जैसे हों। इसे एक चुनौती के रूप में लिया जा सकता है।"

इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भरता का मतलब यह नहीं है कि हम भारत में सब कुछ बनाएंगे। हम ज्वाइंट वेंचर स्थापित करने जा रहे हैं। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ऐसा ही एक वेंचर है। ब्रह्मोस बड़ी सफलता की कहानी रही है। यह वास्तव में अपने समय का 'ब्रह्मास्त्र' है।

क्यों खास है ब्रह्मोस मिसाइल?

ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है। यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। अत्यधिक तेज रफ्तार और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के चलते इसे रडार से पकड़ पाना कठिन होता है। ब्रह्मोस के पहले वैरिएंट का रेंज करीब 300 किलोमीटर है। इसे और विकसित किया जा रहा है। ब्रह्मोस एनजी इसी पहल के तहत तैयार किया गया है।

ब्रह्मोस एनजी ब्रह्मोस से आकार में छोटा और हल्का है। 6 मीटर लंबे इस मिसाइल का वजन 1.6 टन है। ब्रह्मोस की लंबाई 9 मीटर है और इसका वजन 3 टन है। ब्रह्मोस एनजी का रेंज 290 किलोमीटर है। इसकी रफ्तार 3.5 मैक तक पहुंच जाती है। ब्रह्मोस एनजी के रडार क्रॉस सेक्शन को कम किया गया है। इससे इसे रडार से देख पाने में मुश्किल होती है।

ब्रह्मोस मिसाइल के कई वैरिएंट हैं। इसे जमीन, हवा और पानी से दागा जा सकता है। ब्रह्मोस के बड़े आकार और अधिक वजन के चलते वर्तमान में इसे सिर्फ सुखोई विमान से दागा जा सकता है। इसके लिए विमान में अपग्रेड करने होते हैं। ब्रह्मोस के रेंज को 500 किलोमीटर और इससे भी अधिक बढ़ाने पर काम चल रहा है।

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