
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए सभी 12 राज्यों के लिए स्टेट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (SIR) की डेडलाइन 7 दिन बढ़ा दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कई राज्य प्रशासनिक देरी और लॉजिस्टिक समस्याओं से जूझ रहे थे। विपक्षी पार्टियां लंबे समय से कह रही थीं कि ये प्रोसेस काफी बड़ा है और इसके लिए ज्यादा समय दिया जाना जरूरी है, वरना रिकॉर्ड अधूरे रह जाएंगे और पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल उठ सकते हैं।
एक की रिपोर्ट के मुताबिक, कई राज्यों ने केंद्र को बताया था कि वे समय पर रिपोर्ट जमा नहीं कर पाएंगे क्योंकि जमीनी स्तर पर काम बहुत धीमा चला। कहीं अधिकारियों की कमी थी, कहीं सिस्टम की तकनीकी दिक्कतें थीं और कई जगहों पर रिकॉर्ड इकट्ठा करने में समय लग रहा था। इसी वजह से केंद्र ने फैसला लिया कि डेडलाइन बढ़ाई जाए ताकि सारी जानकारी सही तरीके से, बिना गलती और दबाव के भेजी जा सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब SIR की ड्राफ्ट लिस्ट 16 दिसंबर को जारी की जाएगी। यह तारीख अहम इसलिए मानी जा रही है क्योंकि कई नेताओं का दावा है कि यह लिस्ट पूरे प्रोसेस को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी कड़ी साबित होगी।
केंद्र सरकार का कहना है कि यह एक्सटेंशन एक “महत्वपूर्ण दखल” है, ताकि राज्यों के पास अपनी रिपोर्ट पूरी तरह तैयार करने के लिए वक्त रहे और किसी भी तरह की जल्दबाजी या गलती ना हो। वहीं विपक्ष का कहना है कि पहले जो टाइमलाइन दी गई थी वह बिल्कुल अवास्तविक थी और इससे पूरे प्रोसेस की ईमानदारी प्रभावित हो सकती थी। अब जबकि डेडलाइन बढ़ चुकी है, सवाल ये है कि क्या सभी राज्य इस बार समय पर पूरा डेटा जमा कर पाएंगे? क्या 16 दिसंबर को आने वाली ड्राफ्ट लिस्ट सारी शंकाओं को खत्म कर देगी? या फिर इस रिपोर्ट को लेकर अभी और भी नए मोड़ सामने आएंगे।
कई राज्यों ने स्वीकार किया कि ज़मीनी स्तर पर काम जितनी तेजी से होना चाहिए था, उतना नहीं हो पाया। अधिकारियों ने बताया कि विभागों के बीच समन्वय की दिक्कत, फील्ड लेवल पर रिकॉर्ड अपडेट की धीमी रफ्तार और टेक्निकल सपोर्ट की कमी बड़ी कारण बनी।
16 दिसंबर को आने वाली ड्राफ्ट लिस्ट को लेकर राजनीतिक हलकों में उत्सुकता बढ़ गई है। विपक्ष का कहना है कि इस सूची से साफ होगा कि देरी क्यों हुई और किन राज्यों में काम की रफ्तार सबसे धीमी रही। वहीं केंद्र का विश्वास है कि यह लिस्ट प्रोसेस को आगे बढ़ाने में निर्णायक साबित होगी।
विपक्षी नेताओं ने पहले भी चिंता जताई थी कि यदि समय नहीं बढ़ाया गया तो अधूरे रिकॉर्ड जमा होंगे, जिससे पूरे SIR प्रोसेस की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा। वहीं अब डेडलाइन बढ़ाए जाने के बाद उम्मीद है कि सभी राज्य अधिक सटीक और पूरी रिपोर्ट भेज पाने में सक्षम होंगे। केंद्र का मानना है कि यह कदम राज्यों पर से दबाव कम करेगा, जबकि विपक्ष का मानना है कि असली तस्वीर 16 दिसंबर वाली ड्राफ्ट लिस्ट आने के बाद ही सामने आएगी।
सियासी माहौल और लगातार उठ रहे सवालों को देखते हुए इस बात की आशंका है कि आने वाले दिनों में इस प्रोसेस में और गाइडलाइन या संशोधन आ सकते हैं।