खत्म हो रहीं उम्मीदें...चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शायद फिर न जगें?

इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन सफल हो चुका है और 14 दिनों में जो काम करना था उसे पूरा करके सारा डेटा पृथ्वी पर ट्रांसफर कर चुका है। 

Dheerendra Gopal | Published : Sep 24, 2023 4:26 PM IST / Updated: Sep 25 2023, 11:23 AM IST

Mission Chandrayaan 3: चांद पर सूरज के उगे कई दिन हो चुके हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर धूप भी पहुंच चुकी है लेकिन फिर से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने की सारी कोशिशें असफल साबित हो रही हैं। इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क स्थापित करने के लिए अपना इंतजार 14 दिनों तक बढ़ा दिया है।  जैसे-जैसे चंद्रमा का तापमान बढ़ रहा है वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर 6 अक्टूबर को अगले चंद्र सूर्यास्त से पहले फिर से काम शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, मिशन चंद्रयान-3 के लिए डिजाइन किए गए प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को सिर्फ 14 दिनों के लिए ही तैयार किया गया था। दोनों ने तय दिनों में अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभाई। लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि चांद पर जब फिर से सूर्योदय होगा तो शायद दोनों फिर से जग जाएं और काम करने लगे। कई दिनों से इसरो कोशिशें कर भी रहा।

दरअसल, चंद्रयान मिशन 3 केवल 14 दिनों के लिए ही था। इसकी मुख्य वजह है चंद्रमा पर 14 दिनों का दिन और इतने ही दिनों की रात। यानी पृथ्वी पर 24 घंटे दिन रात के उलट यहां 14-14 दिनों का दिन रात होता। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा पर तापमान भी काफी नीचे जाता है। रात में यहां तापमान माइनस 250 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। ऐसी स्थितियों में उपकरणों के सही रहने की संभावना बिल्कुल ही ना के बराबर होती है। वैज्ञानिकों ने पहले ही यह आशंका जताई थी कि 14 दिनों के बाद चंद्रमा पर जब सूर्यास्त होगा तो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शायद ही स्लीप मोड से बाहर निकले। हालांकि, कुछ उम्मीदें जताई जा रही थीं कि तापमान को झेलने के बाद जब सूर्योदय हो तो यह स्लीप मोड से बाहर आकर सिग्नल भेजने लगे।

प्रज्ञान और विक्रम अपना काम कर चुके

इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन सफल हो चुका है और 14 दिनों में जो काम करना था उसे पूरा करके सारा डेटा पृथ्वी पर ट्रांसफर कर चुका है। दरअसल, 2 सितंबर को मिशन की सफलता के बाद प्रज्ञान के दोनों पेलोड APXS और LIBS बंद कर दिए गए थे। पेलोड के सारे डेटाज केा लैंडर के जरिए पृथ्वी पर रिसीव कराया गया। यहां वैज्ञानिक उन डेटा की एनालसिस कर रहे हैं।

23 अगस्त को हुई थी सफल लैंडिंग

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर हुई थी। बुधवार को चंद्रयान 3 की लैंडिंग कराकर भारत ने इतिहास रच दिया था। साउथ पोल पर स्पेसक्रॉफ्ट उतारने वाला पहला देश भारत बन गया है। हालांकि, चांद पर स्पेसक्रॉफ्ट भेजने वाला भारत चौथा देश है। कैसा है चंद्रमा का टेंपरेचर पढ़ें पूरी खबर…

Read more Articles on
Share this article
click me!