लोकसभा से गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 पास हो गया है।
नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यसभा से विपक्ष के 143 सांसदों को निलंबित किया गया है। इस बीच गुरुवार को लोकसभा से बेहद अहम बिल पास हो गया। यह बिल मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 है। इसे पहले ही राज्यसभा से पास किया जा चुका है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार की ताकत बढ़ जाएगी।
इस विधेयक से मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर नया मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि शीर्ष चुनाव अधिकारियों की सेवा शर्तों पर 1991 का अधिनियम एक आधा-अधूरा प्रयास था। वर्तमान विधेयक पिछले कानून द्वारा छोड़े गए क्षेत्रों को कवर करता है। इसके बाद विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
विपक्ष ने की है विधेयक की आलोचना
विभिन्न हलकों ने बिल पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद इसमें बदलाव किए गए थे। विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता करेगा। इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और CJI (Chief Justice of India) के पैनल की सलाह पर की जानी चाहिए। इस फैसले का उद्देश्य चुनाव आयोग को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना था। कोर्ट ने कहा था कि फैसला तब तक प्रभावी रहेगा जब तक सरकार कोई कानून नहीं लाती।
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पैनल से CJI को हटाया जाएगा
नए विधेयक में केंद्र सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से CJI को हटाकर उनकी जगह एक केंद्रीय मंत्री को दी है। इस तरह तीन सदस्यों वाले पैनल में दो सदस्य (प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री) सरकार के होंगे। विपक्ष का आरोप है कि इससे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में सरकार को अधिक अधिकार मिलेगा। इससे चुनाव आयोग की स्वायत्तता से समझौता होगा।
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