चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई का आज कोर्ट में आखिरी दिन है। उनका कार्यकाल 17 नवंबर तक है, लेकिन अगले 2 दिन शनिवार और रविवार होने के चलते कोर्ट में छुट्टी रहेगी। ऐसे में आज ही उनका आखिरी दिन माना जा रहा है। परंपरा के मुताबिक आज वह अगले सीजेआई एस ए बोबड़े के साथ बैठेंगे।
नई दिल्ली. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई का आज कोर्ट में आखिरी दिन है। उनका कार्यकाल 17 नवंबर तक है, लेकिन अगले 2 दिन शनिवार और रविवार होने के चलते कोर्ट में छुट्टी रहेगी। ऐसे में आज ही उनका आखिरी दिन माना जा रहा है। परंपरा के मुताबिक आज वह अगले सीजेआई एस ए बोबड़े के साथ बैठेंगे। शाम 4.30 पर कोर्ट परिसर में विदाई समारोह होगा।
रंजन गोगोई के पिता थे असम के सीएम
चीफ जस्टिस रजन गोगोई के पिता पिता केशब चंद्र गोगोई असम में कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। वे असम के मुख्यमंत्री भी थे। उन्होंने अपने बेटे रंजन गोगोई के बारे में पहले ही भविष्यवाणी की थी कि उनका बेटा देश का चीफ जस्टिस बन सकता है। भविष्यवाणी का जिक्र किताब 'गुवाहाटी हाईकोर्ट, इतिहास और विरासत' में मिलता है। किताब के मुताबिक गोगोई के पिता से उनके एक दोस्त ने पूछा कि क्या उनका बेटा भी उनकी ही तरह राजनीति में आएगा? इसपर केशब चंद्र गोगोई ने जवाब दिया कि वो एक शानदार वकील है और उसके अंदर देश का मुख्य न्यायाधीश बनने की क्षमता है।
3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के 46 वें चीफ जस्टिस बने थे
जस्टिस रंजन गोगोई 03 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के 46 वें चीफ जस्टिस बने थे। वे पूर्वोत्तर से पहले भारतीय चीफ जस्टिस हैं। गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ है। वह 64 साल के हैं। करियर की बात करें तो साल 1978 में इन्होंने बार काउंसिल की सदस्यता ग्रहण की थी। गोगोई ने अपना ज्यादातर वक्त गुवाहाटी हाईकोर्ट में दिया।
- वह 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त हुए थे। 9 सितंबर 2010 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर हो गया था। एक साल बाद ही 12 फरवरी 2011 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। 23 अप्रैल 2012 को गोगोई को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति मिली। 17 नवंबर 2019 को वे सेवानिवृत्त हों जाएंगे।
अगले सीजेआई एस ए बोबड़े कौन हैं?
जस्टिस बोबड़े चीफ जस्टिस गोगोई के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज हैं। वे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। जस्टिस बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को नागपुर में हुआ। वकालत उन्हें विरासत में मिली है। उनके दादा एक वकील थे, उनके पिता अरविंद बोबड़े महाराष्ट्र में जनरल एडवोकेट रहे और उनके बड़े भाई विनोद अरविंद बोबड़े भी सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील रहे हैं। जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने नागपुर विश्वविद्यालय से बी.ए और एलएलबी किया था।
- वह 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल के सदस्य बने थे। वे 21 साल तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते रहे। साल 1998 में उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता का पद संभाला। 29 मार्च 2000 में जस्टिस बोबड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। फिर 16 अक्टूबर 2012 को वे मध्य हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए। इसके बाद उन्होंने 12 अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस का पद संभाला। दो साल बाद 23 अप्रैल 2021 को वह रिटायर होंगे।