पढ़ाई में इतिहास से डरने वाली तेलंगाना की यह बेटी अब खुद रच रही इतिहास, शूटिंग में तीन गोल्ड मेडल पर जमाया कब्जा

Published : Nov 15, 2019, 09:33 AM IST
पढ़ाई में इतिहास से डरने वाली तेलंगाना की यह बेटी अब खुद रच रही इतिहास, शूटिंग में तीन गोल्ड मेडल पर जमाया कब्जा

सार

तेलंगाना की रहने वाली 14 साल की ईशा सिंह ने गुरुवार को नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर कमाल कर दिया। ईशा ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में 241.0 स्कोर के साथ गोल्ड मेडल पर निशाना साधा।ईशा ने महिला, यूथ और जूनियर तीनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।  

नई दिल्ली. दुनिया के चैंपियन खिलाड़ियों से उनके बारे में पूछा जाए कि 14 साल की उम्र में वो क्या कर रहे थे तो यकीनन वह कहेंगे कि वह चैंपियन बनने के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन 14 साल की उम्र में कोई खिलाड़ी अपने मेधा के दम पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने लगे, चैंपियनों को मात देने लगे तो यह हैरान करने वाली बात होगी। जी हां, हम बात कर रहे तेलंगाना की रहने वाली ईशा सिंह की। जो महज 14 साल की उम्र में वह इतिहास रच दिया है जिसे करने के लिए प्रत्येक खिलाड़ी हर रोज सपना देखता है और पसीने बहाता है। 

तेलंगाना की रहने वाली 14 साल की ईशा सिंह ने गुरुवार को नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर कमाल कर दिया। ईशा ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में 241.0 स्कोर के साथ गोल्ड मेडल पर निशाना साधा। ईशा ने महिला, यूथ और जूनियर तीनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। ईशा ने मनि भाकर और हीना सिद्धू जैसी शूटरों को पछाड़ दिया। वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स और यूथ ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट मनु भाकर 238.9 स्कोर के साथ सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया, जबकि ओएनजीसी को प्रतिनिधित्व करने वाली श्वेता सिंह को 217.2 स्कोर के साथ कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

आठवीं की छात्रा है ईशा 

14 वर्षीय ईशा सिंह आठवीं कक्षा की छात्रा हैं। गणित में पूरे अंक लाती हैं और इतिहास विषय से उन्हें डर लगता है। लेकिन शूटिंग की बात हो तो अब दुनिया भर में कोई भी खिलाड़ी उनके साथ शूटिंग करने से डर सकता है। और सबसे खास बात यह कि ईशा सिंह जिन्हे पढ़ाई में इतिहास से डर लगता है वह अह इतिहास रच रही है। 

कंपटीटर कौन इसकी परवाह नहीं

14 साल की ईशा सिंह शूटिंग बिरादरी में एक नया नाम है जो अब दुनिया के चैंपियनों के साथ शामिल हो गईं हैं। ईशा अपनी कामयाबी का श्रेय ओलिंपिक पदक विजेता गगन नारंग की अकाडमी गन फ़ॉर ग्लोरी की टीम के साथ कार रैली के नेशनल चैंपियन अपने पिता को देती हैं। ईशा के सपने बड़े हैं, वो इंडियन फ़ॉरेन सर्विस में जाने के साथ ओलिंपिक चैंपियन भी बनना चाहती हैं।  जीत के बाद ईशा ने कहा, 'मैंने इतना नहीं सोचा था कि मैं किसके साथ शूटिंग कर रही थी। मैं अभी अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश की, जिससे की फाइनल में दबाव महसूस न हो।' 
 

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