LAC पर चीन की हरकतों पर नजर रखने खुफिया नेटवर्क मजबूत कर रही सेना, चरवाहों को एलएएसी पर जानवर चराने की अनुमति

सेना (Indian Army) को खुफिया तौर से मजबूत करने के लिए चरवाहों को सुरक्षा और सुविधाएं मुहैया कराने का निर्णय मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत और चीन के बीच गतिरोध के बाद आया है। हालांकि, कई बिंदुओं पर दोनों सेनाओं के बीच वार्ता हुई, लेकिन सेनाओं का गतिरोध दूर नहीं हुआ। अब तक दोनों सेनाओं के बीच 13 दौर की बातचीत हो चुकी है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 3, 2022 7:11 AM IST

नई दिल्ली। भारतीय सेना (Idian Army) अपने खुफिया तंत्र को और मजबूत करने में लगी है। इसके लिए वह ग्रामीणों को चीन की सीमा से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ पारंपरिक चरागाह तक जाने की अनुमति दे रही है। इन चरवाहों को भारतीय सेना सुरक्षा और अन्य सुविधाएं मुहैया करा रही है। स्थानीय लोग भारतीय सेना के लिए खुफिया जानकारी जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। अब इन्हें सेना को खुफिया तौर से मजबूत करने के लिए चरवाहों को सुरक्षा और सुविधाएं मुहैया कराने का निर्णय मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत और चीन के बीच गतिरोध के बाद आया है। हालांकि, कई बिंदुओं पर दोनों सेनाओं के बीच वार्ता हुई, लेकिन सेनाओं का गतिरोध दूर नहीं हुआ। अब तक दोनों सेनाओं के बीच 13 दौर की बातचीत हो चुकी है। 

ग्रामीणों की आड़ में कब्जा कर रहा चीन
इधर, चीन से गतिरोध के बीच सेना ने अपने नेटवर्क में स्थानीय लोगों को जोड़ना शुरू किया। पहले सेना ग्रामीणों को चरागाहों तक पहुंचने से रोकती थी। चुशुल पार्षद स्टैनजिन कोंचोक ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया था और पिछले महीने इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी। उन्होंने राजनाथ सिंह को बताया कि एलएसी पर चीनी सेना खानाबदोश समुदाय का इस्तेमाल किस तरह से अतिक्रमण के लिए कर रही है। चुशुल के स्थानीय लोगों ने मंत्री को यह भी बताया कि भारत के सुरक्षा बल चरवाहों के पशुओं तक को वहां नहीं चरने देते हैं, जबकि पशुओं को चराने की आड़ में चीनी सेना इन इलाकों पर अपना दबदबा बनाने और उन इलाकों को अपना दावा करने की कोशिश कर रही है। इसके बाद सेना ने चरवाहों को अपने नेटवर्क में शामिल करने का फैसला लिया। एक अधिकारी ने बताया कि अब भारतीय सेना ग्रामीणों, चरवाहों और खानाबदोशों को पारंपरिक चराई भूमि तक पहुंचने में मदद कर रही है।

लद्दाख में कई बार उठा यह मुद्दा 
लगभग दो महीने पहले, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी पार्षद ताशी ग्यालसन ने चरवाहों पर लगाए गए प्रतिबंधों के संबंध में बैठक की थी। इस बैठक में समस्याओं की समीक्षा और समाधान खोजने की कोशिश की गई। स्टैनजिन के पत्र के जवाब में अप्रैल में रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि लद्दाख क्षेत्र में चल रही परिचालन स्थिति के कारण चरवाहों को अपने मवेशियों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने की सलाह दी गई है।

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