जानिए CJI जस्टिस रमना ने भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली सिस्टम के प्रक्रिया को दंड किया करार

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमना, शनिवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों की उपस्थिति में जयपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में तब्दील नहीं करना चाहिए, जो हम इन दिनों दुखद रूप से देख रहे हैं।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 16, 2022 4:30 PM IST

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने भारतीय आपराधिक न्यायिक सिस्टम के प्रक्रिया को दंड करार दिया है। बिना किसी एक विशेष मामले का जिक्र किए जस्टिस रमना ने कहा कि चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में, प्रक्रिया ही सजा है। जल्दबाजी, अंधाधुंध गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने में कठिनाई तक, विचाराधीन कैद की लंबी अवधि की प्रक्रिया पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। जस्टिस रमना ने राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में तब्दील होने को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमना, शनिवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों की उपस्थिति में जयपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

राजनीतिक विरोध को शत्रुता में बदलने पर चिंता

न्यायमूर्ति रमना ने राजनीतिक विरोध को शत्रुता में बदलने और विधायी प्रदर्शन की गुणवत्ता पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में तब्दील नहीं करना चाहिए, जो हम इन दिनों दुखद रूप से देख रहे हैं। ये स्वस्थ लोकतंत्र के संकेत नहीं हैं। सरकार और विपक्ष के बीच आपसी सम्मान हुआ करता था। दुर्भाग्य से, विपक्ष के लिए जगह कम हो रही है। न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि दुख की बात है कि देश में विधायी प्रदर्शन की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि हमें आपराधिक न्याय के प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के लिए एक समग्र कार्य योजना की आवश्यकता है। पुलिस का प्रशिक्षण और संवेदीकरण और जेल प्रणाली का आधुनिकीकरण आपराधिक न्याय के प्रशासन में सुधार का एक पहलू है। चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में, प्रक्रिया ही सजा है। जल्दबाजी, अंधाधुंध गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने में कठिनाई तक, विचाराधीन कैद की लंबी अवधि की प्रक्रिया पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

नालसा को ध्यान देना होगा

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि नालसा (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) और कानूनी सेवा प्राधिकरणों को उपरोक्त मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि वे कितनी अच्छी मदद कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणियों ने कैदियों की जल्द रिहाई को कारगर बनाने के लिए 'जमानत अधिनियम' तैयार करने पर विचार करने के लिए केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के हालिया आह्वान को रेखांकित किया।

चीफ जस्टिस की चिंता ने कई सवालों को हवा दी

दरअसल, हाल के हफ्तों में दिल्ली व यूपी पुलिस ने फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर और महाराष्ट्र में अभिनेत्री केतकी चेतली की गिरफ्तारियों ने कई सवालों को हवा दी है। राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने वाली दुश्मनी से लोकतांत्रिक तानाबाना कमजोर पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना के बयान से ऐसे मामलों में खामियों की ओर सबकी नजर जा रही है।

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