दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर हुई हिंसा (Jahangirpuri violence) के बाद बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ का मामला तूल पकड़ रहा है। हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार के बांग्लादेशी होने की खबरों के बाद सोशल मीडिया पर लोग केंद्र सरकार से पूछने लगे हैं कि CAA और NRC कहां है?
नई दिल्ली. दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर हुई हिंसा (Jahangirpuri violence) के बाद बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का मामला फिर से चर्चाओं में आ गया है। इस साम्प्रदायिक हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार को बांग्लादेशी माना जा रहा है। इस हिंसा के लिए बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता और पार्टी सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर यह आरोप लगाकर कि वो रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को पानी और बिजली मुहैया करा रहे हैं, मामले को गर्मा दिया है। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी घुसपैठियों के खिलाफ तत्काल एक्शन लेने की मांग की है। इस मामले की जांच NIA से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस बीच अपराधियों को पकड़ने जहांगीरपुरी गई क्राइम ब्रांच की टीम पर घरों से फिर पथराव किया गया। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान उठा था यह मुद्दा
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बांग्लादेश और म्यांमार से भागे रोहिंग्या मुसलमानों की भारत में घुसपैठ एक ज्वलंत मुद्दा रहा था। केंद्र सरकार एनआरसी यानी The National Register of Citizens (NRC) के जरिये घुसपैठियों की पहचान की कोशिश करना चाहती है, लेकिन यह मामला ठंडा बस्ते में चला गया। चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस(TMC) से इस पर आपत्ति जताई थी। इस मामले को लेकर बंगाल में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को घुसपैठियों और रोहिंग्या की खाला तक बता दिया था। पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर में गैरकानूनी ढंग से रह रहे रोहिंग्याओं की स्क्रीनिंग शुरू हुई थी। इसके तहत कई रोहिंग्या मुसलमानों को हीरानगर(जम्मू) के होल्डिंग सेंटर में भेजा गया था। तब लगा था कि यह मामला देशभर में चलेगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
बॉर्डर से आसानी से आ जाते हैं घुसपैठिये
पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश की करीब 2000 किलोमीटर लंबी सीमा सटी है। सीमा पर कोई बाड़ या कंटीली जालियां नहीं होने से घुसपैठिये आसानी से भारत में दाखिल हो जाते हैं। सुरक्षाबलों की जांच में सामने आया था कि 2017 के आखिर और 2018 की शुरुआत में बांग्लादेश के रास्ते 5-6 हजार रोहिंग्या मुसलमान भी म्यांमार से भागकर भारत में घुस गए थे। इन्हें भारत में मदद करने में इस्लामिक संगठनों और कथित एनजीओ का बड़ा रोल रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों के बारुईपुर, भांगड़, कैनिंग, बशीरहाट, घुटियारी शरीफ और बासंती ऐसे इलाके हैं, जहां इनकी मौजूदगी मिलती है।
ममता बनर्जी ने रोहिंग्या को बताया था अपना भाई
कुछ साल पहले जब यह मुद्दा उठा था, तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर हमदर्दी जताते हुए बोला था कि वे हमारे भाई हैं, इसलिए यहां रह सकते हैं। कुछ साल पहले देश बचाओ सामाजिक समिति नामक एक एनजीओ ने दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर थाना स्थित हरदा गांव में सबसे पहले 16 अस्थायी कमरे बनवाकर 29 रोहिंग्याओं को बसाया था। फिर हरदा के अलावा कलाड़ी गांव में 4000 रोहिंग्या को बसने में मदद की। बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष, 2000 की रिपोर्ट में सामने आया था कि भारत में 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिये मौजूद हैं। हर साल 3 लाख नये घुसपैठिये भारत में आ रहे हैं। माना जा सकता है कि इस समय भारत में 4 करोड़ से अधिक घुसपैठिये हैं।
1 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिये
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया था कि बंगाल में करीब 1 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिये मौजूद हैं। बता दें कि 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल के सीरमपुर में नरेंद्र मोदी ने तल्ख लहजे में कहा था कि घुसपैठियों को बोरिया-बिस्तर समेट लेना चाहिए। बंगाल के अलावा असम, उत्तर पूर्व के राज्य त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ में भी घुसपैठिये मौजूद हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा
सोशल एक्टिविस्ट पलक तिवारी ने tweet करके लिखा- रोहिंग्या कैम्स में हर साल 35000 बच्चे जन्म ले रहे, CAA, NRC कहां है?
एक यूजर पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ(Pushpendra Kulshrestha) ने लिखा-दिल्ली में रह रहे 5 लाख बांग्लादेशी घुसपैठियों के राशन कार्ड-वोटर लिस्ट से नाम हटाया जाए।
एक यूजर Goblin Dracula ने लिखा- अमेरिका-5000, यूरोप-3000, जॉर्डन-1300, इंडोनेशिया-1200, कनाडा-1100, जापान-560, कतर-20, जबकि भारत में 50,000 रोहिंग्या मौजूद हैं।
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