अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन की खरीद में भी कांग्रेस को दिख रही राफेल वाली बात, पवन खेड़ा ने पूछा- क्यों किया इतना महंगा सौदा?

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भारत और अमेरिका के बीच 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद को लेकर हुए डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने चार गुना अधीक कीमत में ड्रोन खरीदने का सौदा किया है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21-23 जून तक अमेरिका की यात्रा की। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच 31 प्रीडेटर ड्रोन (MQ-9B Reaper Drones) खरीदने का सौदा हुआ। इस डील को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री के महंगे शौक से हम सब वाकिफ हैं। महंगी गाड़ी, महंगे कपड़े, महंगा चश्मा, महंगे मशरूम, महंगे विमान, ये तो हम सब जानते हैं। प्रधानमंत्री के महंगे शौक देश को महंगे पड़ रहे हैं। जो राफेल डील में हुआ वहीं अब प्रीडेटर ड्रोन्स की खरीद में भी दोहराया जा रहा है। जिस ड्रोन को बाकी देश चार गुना कम कीमत में खरीदते हैं। उसी ड्रोन को हम 880 करोड़ रुपए प्रति ड्रोन खरीद रहे हैं। 25 हजार करोड़ रुपए में हम 31 ड्रोन खरीद रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के संयुक्त बयान में ड्रोन डील का जिक्र है।"

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पवन खेड़ा का आरोप-कबाड़ भी महंगे दाम पर खरीदे

पवन खेड़ा ने कहा, "आपने पहले 'रुस्तम' और 'घातक' ड्रोन डेवलपमेंट के लिए DRDO को 1786 करोड़ रुपए दिए, फिर अमेरिका को भी 25 हजार करोड़ दे आए। अमेरिका के ये ड्रोन आउटडेटेड टेक्नोलॉजी वाले हैं और बिना ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलेंगे। यानी आप कबाड़ भी सस्ते के बजाए महंगे दाम पर खरीद रहे हैं। हमने भी खाना खाया है विदेशों में, आपने भी खाया है। इतना महंगा डिनर किया है, जिसमें 25 हजार करोड़ देश को देने पड़ जाएं। हम जानना चाहते हैं कि ड्रोन के पीछे क्या है?"

2016 में 36 राफेल के लिए हुआ था सौदा

गौरतलब है कि भारत और फ्रांस के बीच सितंबर 2016 में 36 राफेल विमान की खरीद को लेकर सौदा हुआ था। इसकी लागत 7.87 बिलियन यूरो (59 हजार करोड़ रुपए) आई। कांग्रेस ने सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। कहा कि भारत ने अधिक दाम देकर राफेल विमान खरीदे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, लेकिन कांग्रेस अपने दावे को साबित करने वाले सबूत नहीं दे पाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी राफेल का मुद्दा खूब उठाया गया, लेकिन कांग्रेस को इसका लाभ नहीं मिला। भाजपा चुनाव जीतकर फिर से सत्ता में आई।

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