कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने SC/ST वर्ग के क्रीमीलेयर्स को आरक्षण नहीं देने के मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। खड़गे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जिस हिस्से में क्रीमीलेयर का जिक्र है उसे संसद में कानून लाकर रद्द कर देना चाहिए।
Mallikarjun Kharge on SC/ST reservation: एससी या एसटी वर्ग के क्रीमीलेयर्स को रिजर्वेशन नहीं देने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। खड़गे ने कहा कि क्रीमीलेयर के आधार पर एससी और एसटी को आरक्षण देने से इनकार करना निंदनीय है। केंद्र सरकार को संसद में कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उस हिस्से को निरस्त कर देना चाहिए जिसमें इस मुद्दे पर बात की गई है।
जबतक अस्पृश्यता रहेगी तबतक आरक्षण होना चाहिए
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रही है। जिस क्रीमीलेयर की वकालत की गई है उसे निरस्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने पूछा कि क्रीमी लेयर लाकर आप किसे लाभ पहुंचाना चाहते हैं? क्रीमी लेयर लाकर आप एक तरफ अछूतों को नकार रहे हैं और उन लोगों को दे रहे हैं जिन्होंने हजारों सालों से विशेषाधिकारों का आनंद लिया है। मैं इसकी निंदा करता हूं। उन्होंने कहा कि जब तक अस्पृश्यता रहेगी, तब तक आरक्षण होना चाहिए और रहेगा। हम इसके लिए लड़ेंगे।
बीजेपी पर लगाया आरक्षण खत्म करने की कोशिश का आरोप
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी आरक्षण खत्म करने की कोशिश कर रही है। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों का निजीकरण कर दिया है। बहुत सारी रिक्तियां हैं लेकिन वे भर्ती नहीं कर रहे हैं।एससी और एसटी को नौकरी नहीं मिल पा रही है। कोई भी एससी उच्च-स्तरीय पदों पर नहीं है। वे एससी और एसटी को क्रीमी लेयर में वर्गीकृत करके दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे न्यायालय का निर्णय आश्चर्यजनक लगा। जो लोग वास्तविक जीवन में अस्पृश्यता का सामना कर रहे हैं और उच्च पदों पर आसीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग भेदभाव का सामना कर रहे हैं। यदि उनके पास पैसा है, तब भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है। मैं अपील करना चाहूंगा कि सभी लोग एकजुट हों और सुनिश्चित करें कि इस निर्णय को मान्यता न मिले और यह मामला फिर से न उठाया जाए। हम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एससी-एसटी आरक्षण में कैटेगरी के लिए दी अनुमति
अगस्त के शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान बेंच ने राज्य सरकारों को एससी सूची के भीतर समुदायों में सब-कैटेगरी बनाने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने यह फैसला 6:1 के बहुमत से सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के बीच भी क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।
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