वन नेशन-वन इलेक्शन की कमेटी तत्काल भंग हो, खड़गे ने लिखा लेटर, बोले-संविधान की मूल संरचना बिगड़ जाएगी

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कमेटी के सचिव नितेन चंद्रा को लेटर लिखकर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार का कड़ा विरोध पार्टी की ओर से दर्ज कराया है।

One Nation One election: कांग्रेस ने वन नेशन-वन इलेक्शन के कंसेप्ट को खारिज करते हुए इसे बीजेपी का प्रोपगेंडा बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में एक साथ चुनाव कराने को अलोकतांत्रिक विचार करा दिया। उन्होंने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन भारत के संघवाद और संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। इसके लिए गठित समिति को भी भंग करने की मांग उन्होंने की है।

कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि तत्काल प्रभाव से वन नेशन-वन इलेक्शन पर राय के लिए गठित कमेटी को भंग किया जाए। यह विचार पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है और संविधान की मूल भावना के विपरीत है। खड़गे ने कमेटी के सचिव नितेन चंद्रा को इसके लिए लेटर भी लिखा है। कमेटी यह पता लगा रही है कि 140 करोड़ लोगों के देश में एक राष्ट्र एक चुनाव सिस्टम लागू किया जा सकता है या नहीं। कमेटी के चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं।

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क्या है कांग्रेस अध्यक्ष के लेटर में?

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कमेटी के सचिव नितेन चंद्रा को लेटर लिखकर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार का कड़ा विरोध पार्टी की ओर से दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि एक संपन्न और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि पूरे विचार को त्याग दिया जाए और उच्चाधिकार प्राप्त समिति को भंग कर दिया जाए। खड़गे ने पूर्व राष्ट्रपति से कहा कि केंद्र सरकार इस देश में संविधान और संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए अपने व्यक्तित्व और भारत के पूर्व राष्ट्रपति के पद का दुरुपयोग न होने दे। कमेटी ने 18 अक्टूबर 2023 को जनता से सुझाव भेजने को कहा था। इस पर खड़गे ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि समिति ने पहले ही अपना मन बना लिया है और परामर्श लेना एक दिखावा प्रतीत होता है।

खड़गे ने कहा कि सरकार, संसद और ईसीआई (भारत का चुनाव आयोग) को एक साथ चुनाव जैसे अलोकतांत्रिक विचारों के बारे में बात करके लोगों का ध्यान भटकाने के बजाय लोगों के जनादेश का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। समिति की संरचना पक्षपातपूर्ण है। समिति का गठन कई राज्यों में सत्ता में मौजूद विपक्षी दलों के साथ चर्चा किए बिना किया गया था। ये राज्य समिति द्वारा लिए गए निर्णयों से प्रभावित होंगे।

सरकार का तर्क आश्चर्यचकित कर देगा

खड़गे ने कहा कि उन्हें यह तर्क सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ कि एक साथ चुनाव कराने से वित्तीय बचत होगी। चुनाव पर खर्च पिछले पांच वर्षों के कुल केंद्रीय बजट का 0.02 प्रतिशत से भी कम है। हमें लगता है कि लोग लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की लागत के रूप में इस छोटी राशि पर विचार करने को तैयार होंगे।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य

'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर सरकार की वेबसाइट में कहा गया है कि 1951-52 से 1967 तक राष्ट्रीय और राज्य चुनाव ज्यादातर एक साथ होते थे लेकिन बाद में यह चक्र टूट गया। अब लगभग हर एक साल के भीतर अलग-अलग चुनाव होते हैं। इससे काफी अधिक व्यय होता है। ऐसे में एक समय ही सभी चुनाव कराए जाने पर कमेटी रिपोर्ट बनाएगी ताकि आगे क्रियान्वयन किया जा सके।

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