Parliament Monsoon Session कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला। अग्निपथ याेजना को वापस लेने, ईडी द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान कांग्रेस के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार समेत कई मुद्दों से प्रेसिडेंट को अवगत कराने के साथ कांग्रेस ने इन मुद्दों को मानसून सत्र में उठाने का भी निर्णय लिया है।
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की है। प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध के दौरान पुलिस द्वारा पार्टी सांसदों के साथ कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया। कांग्रेस ने अग्निपथ योजना का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस इन मुद्दों को संसद के आगामी मानसून सत्र में भी उठाने का मन बना लिया है।
इसके पहले कांग्रेस के 50 से अधिक सांसदों ने संसद भवन में एक मीटिंग की। फिर संसद से विजय चौक तक एकजुटता मार्च निकाला। लेकिन मार्च को दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, जयराम रमेश और के सी वेणुगोपाल शामिल थे।
ईडी का केंद्र सरकार कर रही है दुरुपयोग
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति से मिलकर उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और सांसदों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का मुद्दा उठाया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक झूठे मामले में गांधी से पूछताछ की जा रही है, जिसका विरोध कांग्रेस कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं को बिना किसी अपराध या मामले के 10 से 12 घंटे तक दूर-दराज के थानों में परेशान किया गया और हिरासत में लिया गया। अगर सांसदों को लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है तो पुलिस को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को सूचित करना होगा।
खड़गे ने कहा कि ईडी की कार्रवाई के खिलाफ हमारे विरोध प्रदर्शन के दौरान हमारे अधिकारों का भी हनन हुआ है। हमारे सांसदों, विशेषकर महिला सांसदों को पीटा गया और हमने इसे राष्ट्रपति के संज्ञान में लाया और उनसे इसमें शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। नेता विपक्ष खड़गे ने कहा कि उन्होंने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना और इसे गलत तरीके से तैयार करने का मुद्दा भी उठाया क्योंकि इससे देश को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को इससे कोई फायदा नहीं होगा और चार साल सशस्त्र बलों में रहने के बाद उन्हें कोई रोजगार नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार हितधारकों के परामर्श के बिना इस योजना को लाई है और योजना के कारण युवाओं को बुरी तरह नुकसान होगा।
राष्ट्रपति से कई मुद्दों पर हस्तक्षेप की मांग की गई
ट्वीट्स की एक श्रृंखला में जयराम रमेश ने कहा कि दो सीएम सहित विपक्ष के नेता के नेतृत्व में कांग्रेस के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दो ज्ञापन सौंपने के लिए माननीय राष्ट्रपति से मुलाकात की। सरकार से अग्निपथ योजना को वापस लेने, व्यापक परामर्श किए बिना अग्निपथ योजना को लागू करने के खिलाफ, दिल्ली पुलिस द्वारा कांग्रेस सांसदों को अकारण बदसलूकी किए जाने सहित कई मुद्दों पर राष्ट्रपति से बातचीत की गई।
चिदंबरम ने कहा कि अग्निपथ योजना गलत और गुमराह करने वाली है और इसलिए देश के युवा सड़कों पर इसका विरोध और विद्रोह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि योजना पूरी तरह से गलत है और कोई भी तर्क उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हर रोज सरकार योजना में कुछ बदलाव या रियायत के साथ वापस आती है और इसे पूर्व नियोजित बदलाव कहती है। उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक योजना है जो हमारे सशस्त्र बलों की दक्षता और प्रभावशीलता को कम कर देगी। हमारे पास छह महीने का प्रशिक्षित सैनिक होगा जो 3.5 साल तक सेवा करेगा, इस बात के साथ कि चार साल बाद वह बेरोजगार हो जाएगा। वह किस तरह का सैनिक होगा, उसकी किस तरह की प्रतिबद्धता होगी।
कांग्रेस मानसून सत्र में उठाएगी मुद्दा
कांग्रेस सांसदों के साथ दुर्व्यवहार, अग्निपथ योजना समेत अन्य मुद्दों को मानसून सत्र में उठाने के लिए कांग्रेस ने मन बना लिया है। राष्ट्रपति से मिलने के बाद कांग्रेस सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीनियर लीडर पी.चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस संसद के आगामी मानसून सत्र में मुद्दों को उठाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों द्वारा कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ज्यादती की हदें पार कर ली गई थीं। सांसदों पर हमला किए जाने का बिल्कुल कोई औचित्य नहीं था। हम एक शांतिपूर्ण सत्याग्रह का मंचन कर रहे थे। हमारे हाथों में पत्थर नहीं थे, हमारे पास लाठी नहीं थी, हम पथराव में शामिल नहीं थे, हम केवल नारे लगा रहे थे और अपने नेता के साथ अपनी एकजुटता दिखा रहे थे। सांसद और अन्य लोगों के साथ मारपीट की गई और उनके साथ हाथापाई की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों को बिना आदेश के 40-50 किलोमीटर दूर ले जाया गया, किसी भी सांसद को गिरफ्तारी या नजरबंदी का कोई आदेश नहीं दिया गया। चिदंबरम ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से विशेषाधिकार का उल्लंघन है और अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और हमने राष्ट्रपति से इसकी जांच कराने और मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजने के लिए कहा है।
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