कांग्रेस ने भारत की अखंडता को अनेक बार किया खंड-खंड, श्रीलंका को क्यों दिया कच्चाथीवू: विहिप

विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि कांग्रेस ने अनेक बार भारत की अखंडता को खंड-खंड किया है। आम चुनाव में भारत की जनता ऐसी सरकार चुनेगी जो ना सिर्फ कच्चाथीवू, बल्कि मां भारती के छीने गए सभी भू भाग को कब्जे से मुक्ति दिलाएगी।

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार को कहा है कि सिर्फ कच्चाथीवू द्वीप ही नहीं, कांग्रेस ने भारत की अखंडता को अनेक बार खंड-खंड किया है। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महा सचिव डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि आम चुनाव में भारत की जनता ऐसी सरकार चुनेगी जो ना सिर्फ कच्चाथीवू, बल्कि मां भारती के छीने गए सभी भू भाग को कब्जे से मुक्ति दिलाएगी।

सुरेंद्र जैन ने कहा कि कच्चाथीवू हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है। इंदिरा गांधी द्वारा इसे श्रीलंका को सौंप देने का फैसला मनमाना और असंवैधानिक था। यह भारत की संप्रभुता के साथ किया गया खिलवाड़ था। उन्होंने संसद, तमिलनाडु विधानसभा और वहां के मछुआरों के साथ धोखा किया था।

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उन्होंने कहा कि 26 जून 1974 को इंदिरा गांधी की सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को प्लेट में इस प्रकार सजा कर दे दिया था मानो वह उनकी व्यक्तिगत संपत्ति हो। 1956 से लेकर 1974 तक भारत की संसद में श्रीलंका की घुसपैठ और भारतीय मछुआरों की त्रासदी के बारे में कई बार सवाल किए गए, लेकिन उस समय के प्रधानमंत्रियों ने इस तरह के गोल-गोल जवाब दिए जैसे उन्हें भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता की कोई चिंता ही ना हो। तमिलनाडु की विधानसभा ने तो इसे वापस लेने के लिए कई प्रस्ताव भी पास किए किन्तु, कांग्रेसी सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

सुरेंद्र जैन ने कहा कि यह मनमाना फैसला असंवैधानिक भी था। सुप्रीम कोर्ट ने बेरुबारी मामले में कहा था कि भारत को किसी संधि के अंतर्गत अगर कोई हिस्सा किसी अन्य क्षेत्र को देना पड़ता है तो संसद से उसकी स्वीकृति आवश्यक लेनी चाहिए। इस मामले में संसद को अंधेरे में रखा गया, गलत बयानी की गई। तमिल समाज की भावनाओं को समझने के लिए तमिलनाडु विधानसभा में भी इस विषय को लाने की जरूरत महसूस नहीं की गई।

उन्होंने बताया कि कांग्रेस की सरकारें भारत की संप्रभुता और अखंडता को लेकर हमेशा संवेदनहीन रही हैं। कश्मीर के 42735 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन ने और 34639 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर पाकिस्तान ने आजादी के थोड़े दिन बाद ही कब्जा कर लिय था। कांग्रेस की सरकारों ने इसे छुड़ाने के लिए प्रयास नहीं किया। चीन के अवैध कब्जे पर नेहरू ने कहा था "वहां कुछ पैदा नहीं होता इसलिए उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए।" राष्ट्रीय हितों के प्रति इसी प्रकार की संवेदन-शून्यता नेहरू ने तब भी दिखाई थी जब चीन ने तिब्बत पर अवैध कब्जा किया था।

कांग्रेस नेतृत्व से विश्व हिंदू परिषद के सवाल

1. भारतीय संप्रभुता के प्रति इतनी लापरवाही क्यों बरती गई?

2. कच्चाथीवू देने से भारत के कौन से हित पूरे हो रहे हैं?

3. संसद को धोखे में क्यों रखा गया? इस समझौते से पहले या बाद में संसद में क्यों नहीं चर्चा की गई, जबकि वैधानिक रूप से संसद की अनुमति चाहिए थी?

4. तमिलनाडु के मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए बार-बार आश्वासन देने के बावजूद क्या किया?

यह भी पढ़ें- Exclusive: कच्चाथीवू द्वीप मुद्दे पर श्रीलंका सरकार के अधिकारी ने कहा-मसला दशकों पहले सुलझ चुका है, यह मुद्दा उठाना नई दिल्ली का मामला

विश्व हिंदू परिषद को यह स्पष्ट लगता है कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए राष्ट्रहितों की उपेक्षा की है। विहिप को विश्वास है कि आगामी चुनाव में ऐसी सरकार अवश्य आएगी जो न केवल कच्चाथीवू को वापस ले अपितु अपने छीने गए क्षेत्रों को वापस लेने के राष्ट्रीय संकल्प को पूरा कर सके।

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