राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल, कांग्रेस मुख्यालय में जश्न, मल्लिकार्जुन ने बांटी मिठाई

राहुल गांधी की संसद सदस्यता (Rahul Gandhi Parliament Membership) बहाल हो गई है। वह आज लोकसभा में नजर आएंगे। इसके चलते कांग्रेस पार्टी जश्न मना रही है। पार्टी मुख्यालय में ढोल नगारे बजाए जा रहे हैं।

 

Vivek Kumar | Published : Aug 7, 2023 3:07 AM IST / Updated: Aug 07 2023, 10:55 AM IST

नई दिल्ली। मोदी सरनेम केस (Modi surname case) में सूरत कोर्ट से सजा मिलने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद सोमवार को उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई। कांग्रेस इस अवसर पर जश्न मना रही है। 136 दिन के बाद आज राहुल संसद में नजर आएंगे। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का स्वागत किया है। उन्होंने विपक्षी नेताओं का मुंह मीठा कराया। खरगे ने ट्वीट किया, "राहुल गांधी को सांसद के रूप में बहाल करना स्वागत योग्य कदम है। इससे देश के लोगों विशेषकर वायनाड के लोगों को राहत मिली है।"

 

 

सांसद पीपी मोहम्मद फैजल के मामले में लगा था एक माह से अधिक वक्त

लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल के मामले में संसद की सदस्यता बहाली में एक महीने से अधिक समय लगा था। फैजल को 10 साल जेल की सजा मिली थी। इसके बाद जनवरी में उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य करार दिया गया था। केरल हाईकोर्ट ने सजा पर रोक का आदेश दिया था। इसके बाद भी उनकी सदस्यता बहाल नहीं की गई। इसके चलते उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। मार्च में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले उनकी संसद सदस्यता को बहाल कर दिया गया था।

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राहुल गांधी को मानहानी केस में मिली थी दो साल जेल की सजा

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में मोदी सरनेम को लेकर विवादित बयान दिया था। इसके चलते भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ केस किया था। मानहानि के इस मामले में मई में सूरत के कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल जेल की सजा दी थी। सजा मिलने के बाद उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया गया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की अर्जी पर सुनवाई की और दोषसिद्धि पर रोक लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल जज ने अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।

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