अंडमान जेल में कैद सावरकर बुलबुल पक्षी पर रोज देशभर में घूमते थे...कनार्टक में क्लास-8 के बच्चे पढ़ रहे

कर्नाटक में इतिहास को फिर से लिखने के लिए पाठ्यक्रम संशोधन समिति बनाई गई थी। यह समिति राज्य में हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव करती। लेकिन इस समिति ने पाठ्यपुस्तक में एक पाठ जोड़कर और उसमें अजीबोगरीब तथ्य देकर एक संवेदनशील इतिहास को हंसी का पात्र बना दिया है।

Dheerendra Gopal | Published : Aug 28, 2022 3:33 PM IST

बेंगलुरू। कर्नाटक और विवादों का गहरा नाता होता जा रहा है। अब सावरकर को लेकर एक नया विवाद यहां खड़ा कर दिया गया है। राज्य सरकार की पाठ्यक्रम संशोधन समिति ने विनायक दामोदर सावरकर का एक लेसन क्लास 8 के इतिहास में जोड़ा है। सावरकर से संबंधित पाठ जोड़ने पर कोई बवाल नहीं है बल्कि इसमें लिखे कुछ हास्यास्पद तथ्य को लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। दरअसल, सावरकर के बारे में लिए गए पाठ में यह बताया गया है कि वह जब अंडमान जेल में बंद थे तो बुलबुल पक्षी पर सवार होकर देश की यात्रा करते थे और फिर वापस जेल में चले जाते थे। विपक्ष ने काफी हास्यास्पद इतिहास को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधा है।

जानिए क्या लिखा है वीर सावरकर के बारे में?

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कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हैं। यहां इतिहास को फिर से लिखने के लिए पाठ्यक्रम संशोधन समिति बनाई गई थी। यह समिति राज्य में हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव करती। लेकिन इस समिति ने पाठ्यपुस्तक में एक पाठ जोड़कर और उसमें अजीबोगरीब तथ्य देकर एक संवेदनशील इतिहास को हंसी का पात्र बना दिया है। दरअसल, पाठ्यक्रम समिति ने विनायक दामोदर सावरकर पर एक लेसन क्लास 8 की किताब में जोड़े हैं। कन्नड़ भाषा के क्लास 8 की इस किताब में सावरकर को लेकर ऐसा दावा किया गया है जो किसी गल्फ कहानी की तरह है न कि इतिहास का हिस्सा लग रहा है। कक्षा 8 की कन्नड़ पाठ्यपुस्तक में पढ़ाया जा रहा है कि श्री सावरकर अंडमान जेल में कैद होने के दौरान पक्षी के पंखों पर बैठते थे और मातृभूमि की यात्रा करने के लिए उड़ान भरते थे। लिखा है कि...जिस कोठरी में सावरकर को कैद किया गया था, उसमें एक चाबी का छेद भी नहीं था। लेकिन बुलबुल पक्षी कमरे में आते थे और सावरकर उनके पंखों पर बैठकर उड़ान भरते थे और हर दिन मातृभूमि की यात्रा करते थे।

कौन हैं सावरकर?

विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के मातृ संगठन आरएसएस के वैचारिक मेंटोर हैं। हिंदुत्व के चेहरे के रूप में सावरकर की पहचान है। हालांकि, उनको लेकर संघ और विपक्ष में हमेशा ही ठनी रहती है।

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