ICMR का तर्क, Corona का बूस्टर डोज कितना उपयोगी, प्रमाण नहीं, मार्च से शुरू हो सकता है बच्चों का वैक्सीनेशन

कोरोना (Covid-19) टीकाकरण (Vaccination) के बूस्टर डोज पर अगले हफ्ते मीटिंग होगी। माना जा रहा कि मार्च से बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो सकता है। इस बीच ICMR के चीफ का तर्क है कि बूस्टर डोज कितना जरूरी है, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

नई दिल्ली. कोरोना (corona vaccine) के बूस्टर डोज(booster dose) और बच्चों के वैक्सीनेशन पर अगले हफ्ते संभावित बैठक में कोई निर्णय लिया जा सकता है।  नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) की अगले हफ्ते होने वाली इस बैठक में केंद्र सरकार का एक पैनल देश में बूस्‍टर डोज और बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन पर नीति(Vaccine Policy For Children) को दो हफ्तों के अंदर तैयार करेगा। माना जा रहा है कि जनवरी से बीमारी से ग्रसित बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है। वहीं, मार्च तक बाकी सभी बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया जा सकता है। 

बूस्टर डोज की जरूरत पर सवाल
हालांकि कोरोना के बूस्टर डोज को लेकर अभी भी संशय की स्थिति है। इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) से सुरक्षा के लिए बूस्टर वैक्सीन की खुराक की आवश्यकता को लेकर अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण सामने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि अभी सभी वयस्कों को वैक्सीन लगाई जा रही है और भारत सहित पूरी दुनिया के लोगों को टीका लग जाए, अभी यही प्राथमिकता है।

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डॉ. बलराम ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि टीकाकरण पर केंद्र के शीर्ष विशेषज्ञ पैनल, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI), बूस्टर शॉट्स जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नवंबर के अंतिम अंतिम हफ्ते में मीटिंग कर सकते हैं। बता दें कि पिछले दिनों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदि ने केंद्र सरकार से लोगों को बूस्टर डोज देने का आग्रह किया था। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया(Mansukh Mandaviya) स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र ऐसे मामले में सीधा फैसला नहीं ले सकता है।

एक डोज ही कम कर देती है असर 
नीति आयोग (Niti Ayog) के सदस्य - स्वास्थ्य डॉ. वी. के. पाल का कहना है कि तेजी से टीकाकरण का बहुत ही सकारात्मक असर सामने आया है। इससे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हुई है। दिल्ली में सीरो सकारात्मकता दर 97 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में 88 प्रतिशत और तेलंगाना में 85 प्रतिशत दर्ज की गई है। एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने कोविड टीके की पहली खुराक भी ली है, उन पर कोविड का घातक परिणाम सामने नहीं आया है।  

हर माह 30-35 करोड़ डोज बन रहे
आईसीएमआर के डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है कि देश को तीसरी खुराक देने के बजाय 100% पात्र आबादी को टीके की दोनों खुराक देना आवश्यक है। अगर कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से कोविड टीके की तीसरी खुराक ले भी लेता है, तो वह रिकॉर्ड में नहीं आएगी। टीके की बूस्टर डोज के बारे में अध्ययन किया जा रहा है। अगले महीने तक इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं। देश में अभी प्रति माह 30 से 35 करोड़ टीके बन रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने ली थी कल मीटिंग
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया(Dr. Mansukh Mandaviya) ने  कोविड-19 के विरुद्ध टीकाकरण को एक शक्तिशाली हथियार बताते हुए इसकी कवरेज को और विस्तार देने एक जोरदार अभियान चलाने पर जोर दिया है। वे 22 नवंबर को कोरोना वैक्सीनेशन की समीक्षा बैठक कर रहे थे। वैक्सीनेशन में मणिपुर, मेघालय, नगालैंड व पुडुचेरी राष्ट्रीय औसत से पीछे चल रहे हैं। बता दें कि भारत की पहली खुराक कवरेज 82 प्रतिशत और दूसरी खुराक कवरेज 43 प्रतिशत है, पुद्दुचेरी में यह कवरेज क्रमश: 66 प्रतिशत और 39 प्रतिशत, नगालैंड में 49 प्रतिशत और 36 प्रतिशत, मेघालय में 57 प्रतिशत और 38 प्रतिशत तथा मणिपुर में 54 प्रतिशत और 36 प्रतिशत है। इस प्रकार ये राज्‍य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी पहली और दूसरी खुराक की कवरेज में राष्ट्रीय औसत से पीछे चल रहे हैं।

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