25,800 लोगों पर फेज-3 का ट्रायल किया गया था। इसमें ये देखा गया कि कोरोना के खिलाफ यह वैक्सीन कितना बचाव करती है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर डेवलप किया है।
नई दिल्ली. कोवैक्सिन फेज-3 के क्लिनिकल ट्रायल में 77.8% असरदार साबित हुई है। इसे हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है। एम्स कोविड (COVID-19) टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. नवीत विग ने कहा कि टीका सुरक्षित है। यह इम्युनोजेनिक है और यह जान बचाएगा। अब सारी शंकाओं पर विराम लग गया है। हमें जितनी जल्दी हो सके अधिक लोगों को टीका लगाने की आवश्यकता है।
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फैल रहा है डेल्टा संस्करण
उन्होंने कहा कि क्योंकि डेल्टा संस्करण चारों ओर है। ऐसे में हमें वैक्सीन अधिक से अधिक लोगों को लगानी चाहिए। बता दें कि अभी देश में कोविसील्ड और को-वैक्सीन लगाई जा रही हैं। कई जगहों पर रूस की स्पूतनिक V भी लगाई जा रही है।
कितने लोगों पर हुआ था ट्रायल
25,800 लोगों पर फेज-3 का ट्रायल किया गया था। इसमें ये देखा गया कि कोरोना के खिलाफ यह वैक्सीन कितना बचाव करती है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर डेवलप किया है। इससे पहले मार्च में भारत बायोटेक ने फेज-3 ट्रायल के अंतरिम रिजल्ट जारी किए थे। कोवैक्सिन कोरोना संक्रमण से बचाने में 81% तक कारगर है।
4 से 6 हफ्तों में लगती है दूसरी डोज
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का डेटा अभी तक पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त, पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ है। बता दें कि कोवैक्सीन के दो डोज 4 से 6 हफ्ते के अंतर पर लगाए जा रहे हैं।