कोरोना की तीसरी लहर में ब्रेन स्ट्रोक का नया खतरा, पटना के IGIMS समेत कई अस्पतालों में इस तरह के मामले आए

Published : Jan 30, 2022, 04:39 PM ISTUpdated : Jan 30, 2022, 04:41 PM IST
कोरोना की तीसरी लहर में ब्रेन स्ट्रोक का नया खतरा, पटना के IGIMS समेत कई अस्पतालों में इस तरह के मामले आए

सार

IGIMS के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में जिस तरह से ब्रेन स्ट्रोक के मामले आ रहे हैं , यह शोध का विषय है। 2021 में भी कोविड था, लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के ऐसे मामले नहीं आए थे। इस बार 15 दिनों में ब्रेन स्ट्रोक के 42 मामले आए हैं, जिसमें 30 में कोरोना का साइड इफेक्ट दिख रहा है।

पटना। कोरोना वायरस की तीसरी लहर (Coronavirus third wave) में गंभीर लक्षण भले सामने नहीं आ रहे हों, लेकिन यह और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) ने कहा है कि तीसरी लहर में ब्रेन स्ट्रोक बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। इस संक्रमण के बाद दिमाग की नस कमजोर होकर फट रही हैं, जिससे मरीजों की हालत बिगड़ रही है। बिहार के अस्पतालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। यह शोध का विषय है।

IGIMS के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में कोविड के बाद ब्रेन स्ट्रोक का खतरा सामने नहीं आया था। लेकिन तीसरी लहर में ब्रेन स्ट्रोक के मामले सामने आ रहे हैं। शनिवार को एक ही दिन ब्रेन स्ट्रोक के 8 नए मामले आए, जबकि 35 मरीज हाल में ही भर्ती हुए हैं। यहां 15 दिनों के अंदर 42 से अधिक ऐसे मरीज मिले हैं, जो कोविड के बाद ब्रेन स्ट्रोक झेल रहे हैं। 

पोस्ट कोविड में ब्रेन स्ट्रोक शोध का विषय
IGIMS के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में जिस तरह से ब्रेन स्ट्रोक के मामले आ रहे हैं , यह शोध का विषय है। 2021 में भी कोविड था, लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के ऐसे मामले नहीं आए थे। इस बार 15 दिनों में ब्रेन स्ट्रोक के 42 मामले आए हैं, जिसमें 30 में कोरोना का साइड इफेक्ट दिख रहा है। बाकी 12 मरीजों को कोरोना नहीं था, ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें बिना लक्षण वाला संक्रमण रहा हो। पटना AIIMS के डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि कोरोना का संक्रमण भी भारी पड़ा है। यहां भी ब्रेन स्ट्रोक से शुक्रवार को एक मरीज की मौत हुई। 

क्यों हो रहा ब्रेन स्ट्रोक?
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद दिमाग की कमजोर नसों पर रक्त का दबाव बढ़ने से वह फट जा रही हैं। मौसम में लगातार बदलाव भी इसकी वजह है। ब्लड प्रेशर और शुगर की मॉनिटरिंग में कमी के साथ दवा में लापरवाही भी खतरा बढ़ा रही है। कोरोना के संक्रमण के बाद लोग लापरवाही कर रहे हैं, जिससे खतरा बढ़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि शुगर, ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग व एक्सरसाइज से कोरोना के साइड इफेक्ट को कम किया जा सकता है। 

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