क्राइम करके अब बच नहीं पाएंगे क्रिमिनल्स, ये नया बिल उन्हें 'बिल' से भी खींच लाएगा, जानिए क्या होगा इसमें

अकसर अपराधी पहचाने न जाने से पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाते हैं, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा। संसद ने आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक ( criminal procedure identification bill) पारित कर दिया है। यानी अब अपराधी की गिरफ्तारी के बाद उसका बायोमेट्रिक डेटा लिया जाएगा। इसके बाद अगर वो कहीं भी फिर से अपराध करता है, तो पुलिस की गिरफ्त से बचकर नहीं निकल पाएगा। बायोमेट्रिक डेटा(biometric data) के आधार पर उसे पकड़ लिया जाएगा।
 

नई दिल्ली. अपराधों पर लगाम कसने मोदी सरकार एक ऐसा बिल लाई है, जिसके बाद अपराधी आसानी से पहचान लिए जाएंगे। यानी उन्हें पकड़ना आसान हो जाएगा। अकसर अपराधी पहचाने न जाने से पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाते हैं, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा। राज्यसभा ने आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक ( criminal procedure identification bill) पारित कर दिया है। इससे पहले 4 अप्रैल को इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया था। यानी अब अपराधी की गिरफ्तारी के बाद उसका बायोमेट्रिक डेटा लिया जाएगा। इसके बाद अगर वो कहीं भी फिर से अपराध करता है, तो पुलिस की गिरफ्त से बचकर नहीं निकल पाएगा। बायोमेट्रिक डेटा(biometric data) के आधार पर उसे पकड़ लिया जाएगा।

जानिए क्या है criminal procedure identification bill: वो जो आप  जानना चाहते हैं
यह बिल जांचकर्ताओं यानी पुलिस या अन्य एजेंसी को आपराधिक मामलों में पहचान और जांच के लिए दोषियों और अन्य व्यक्तियों की पहचान योग्य जानकारी जैसे बायोमेट्रिक डेटा और अन्य जुटाने की अनुमति देता है। केंद्री गृह मंत्री अमित शाह(Home Minister Amit Shah) ने बुधवार को विपक्ष के सवालों और चिंताओं के जवाब में कहा कि विधेयक का उद्देश्य अपराधों की दर में कमी, अपराधियों की सजा की दर में वृद्धि और देश की सुरक्षा को बढ़ावा देना है। शाह ने यह भी कहा कि वो आश्वस्त करना चाहते हैं कि एकत्र किया गया डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बिल में कोई खामियां न हों, ताकि किसी की निजता और मानवाधिकारों का उल्लंघन हो। बता दें कि राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित यह विधेयक आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की जगह लेगा।

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अन्य देशों की तुलना में भारत में कानून सख्त नहीं हैं
अमित शाह ने कहा कि यह  विधेयक अपराधों के पीड़ितों के मानवाधिकारों की रक्षा करने से जुड़ा है, सिर्फ अपराधियों का पहचान के लिए नहीं। शाह ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि यह कानून अन्य देशों की तुलना में सख्ती के मामले में 'बच्चा' है। यानी कुछ कठोर नहीं है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में कड़े कानून हैं। इसी वजह से वहां सजा की दर बेहतर है।

दुरुपयोग करने का कोई इरादा नहीं
अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग करने का सरकार का कोई हमारा इरादा नहीं है। यह पुलिस को अपराधियों से आगे रखने की कोशिश है। शाह ने कहा कि अगली पीढ़ी के अपराधों को पुरानी तकनीकों के जरिये नहीं निपटा जा सकता है। 

बिल के बाद अपराधियों की पहचान ऐसे होगी
अमित शाह ने बताया कि डेटा की सुरक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए मेनपॉवर को ट्रेनिंग दी जाएगी। यह बिल अपराधियों के शरीर के उचित माप (उंगली के निशान, हथेली के निशान और पैरों के निशान, फोटोग्राफ, आईरिस और रेटिना स्कैन, भौतिक और जैविक नमूने) लेने के लिए कानूनी मंजूरी देता है। यह मजिस्ट्रेट को किसी भी व्यक्ति का माप लेने का निर्देश देने का अधिकार देता है। पुलिस या जेल अधिकारी भी माप ले सकेंगे। यानी कोई अपराधी मना नहीं कर सकता है। बता दें कि विधेयक पर बहस में कुल 17 सदस्यों ने भाग लिया। हालांकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि विधेयक को प्रवर समिति(select committee) को भेजा जाना चाहिए।

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